गीरबौ पर कवितावां

गर्व वैसे तो नकारात्मक

और सकारात्मक दोनों ही अर्थों में अहंभाव को प्रकट करता है, लेकिन प्रस्तुत संचयन में इसके विविध आयामों से गुज़रा जा सकता है।

कविता12

दुर्गादास

नारायण सिंह भाटी

हस्ती रै परबार

मालचंद तिवाड़ी

रखवाला

छोटूराम मीणा

गरब

शिवचरण सेन ‘शिवा’

इतरावणजोग

तेजस मुंगेरिया

मनचायी मौत

सत्येन जोशी

म्हारी धरती

रेवतदान चारण कल्पित

ओ म्हारो हिन्दुस्तान है

गणपत सिंह ‘मुग्धेश’

मां थकी वधारै कुंण

हर्षिल पाटीदार

मिटतो गिरबो

जगदीशनाथ भादू 'प्रेम'

गरब

मीनाक्षी पारीक

झुर-झुर रोवै चिड़कली

मातुसिंह राठौड़