बेटी पर कवितावां

हिंदी कविता में बेटियों

का आगमन उनकी आशाओं-आकांक्षाओं और नम्र आक्रोश के साथ हुआ है, तो पिता बनकर उतरे कवियों ने उनसे संवाद की कोशिश भी की है। प्रस्तुत चयन में इस दुतरफ़ा संवाद को अवसर देती कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता69

बेटा कद आवैला गांव

राजूराम बिजारणियां

ओ गांव है

रामस्वरूप किसान

थळी रा संस्कार

राजूराम बिजारणियां

कविता

मनोज कुमार स्वामी

धरती रो करज

कृष्णा सिन्हा

निजर

मनोज कुमार स्वामी

मा-बेटी

मनोज कुमार स्वामी

पोळ छूटी बाबूल की

रामदयाल मेहरा

जीण कठै है?

गीता सामौर

बेटी

बाबूलाल शर्मा

आओ बेटी बचावां

रचना शेखावत

म्हारै घरां सूरज कद उगसी?

श्री कृष्ण 'जुगनू'

झमकू

श्याम महर्षि

मायड़ कैवै बेटी नैं

रेनू सिरोया ‘कुमुदिनी’

बेटा बेटी में फरक

राजेन्द्र बारहठ

आसंग

मनोज कुमार स्वामी

म्हूं कांई मं पाछै छूं

मंजू किशोर 'रश्मि'

मां-बेटी

ज़ेबा रशीद

बेटियां

कृष्णा आचार्य

मां अर म्हैं

अंकिता पुरोहित

चाव

हेमन्त गुप्ता पंकज

सीखड़ली री वेळा

निर्मला राठौड़

बेटी री ओळू

मईनुदीन कोहरी 'नाचीज'

गळै री कंठी

कृष्णा आचार्य

दायजा री दाज (आग)

विजयलक्ष्मी देथा

बेटी

साधना छंगाणी

बेटी

मनोज कुमार स्वामी

सजा

दुष्यन्त जोशी

झुर-झुर रोवै चिड़कली

मातुसिंह राठौड़

बेटी

मनोज कुमार स्वामी

बाप

नगेन्द्र नारायण किराडू

किण दरदां

चैन सिंह शेखावत

रूंख अर चिड़कली

देवीलाल महिया

गौर

देवीलाल महिया

हेत जगावै छोरयां

मीनाक्षी आहुजा

माँ

नीलम पारीक

सवाल (दो)

गौरी शंकर निम्मीवाल

बेटी

मीनाक्षी बोराणा

बदळती मानता

सुशीला ढाका

चिड़कली

संतोष शेखावत ‘बरड़वा’

दिवला अर बाट

अंकिता पुरोहित

धीयां नै

सत्यप्रकाश जोशी

तोम्बडू

शैलेन्द्र उपाध्याय

कागद रा टुकड़ा

धनपत स्वामी

दो दांतां पै

विष्णु विश्वास

लाडली

हरिराम गोपालपुरा

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

गणपत सिंह ‘मुग्धेश’