बेटी पर कवितावां

हिंदी कविता में बेटियों

का आगमन उनकी आशाओं-आकांक्षाओं और नम्र आक्रोश के साथ हुआ है, तो पिता बनकर उतरे कवियों ने उनसे संवाद की कोशिश भी की है। प्रस्तुत चयन में इस दुतरफ़ा संवाद को अवसर देती कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता78

बेटा कद आवैला गांव

राजूराम बिजारणियां

म्हारी उमर

रामाराम चौधरी

ओ गांव है

रामस्वरूप किसान

थळी रा संस्कार

राजूराम बिजारणियां

कविता

मनोज कुमार स्वामी

धरती रो करज

कृष्णा सिन्हा

निजर

मनोज कुमार स्वामी

मा-बेटी

मनोज कुमार स्वामी

पोळ छूटी बाबूल की

रामदयाल मेहरा

बेटा अर बेटी

श्रीनिवास तिवाड़ी

जीण कठै है?

गीता सामौर

बेटियां

कृष्णा आचार्य

मां अर म्हैं

अंकिता पुरोहित

चाव

हेमन्त गुप्ता पंकज

सीखड़ली री वेळा

निर्मला राठौड़

बेटी री ओळू

मईनुदीन कोहरी 'नाचीज'

गळै री कंठी

कृष्णा आचार्य

दायजा री दाज (आग)

विजयलक्ष्मी देथा

बेटी

साधना छंगाणी

डायजै री दाज

अमर सिंह राजपुरोहित

बेटी

मनोज कुमार स्वामी

सजा

दुष्यन्त जोशी

झुर-झुर रोवै चिड़कली

मातुसिंह राठौड़

बेटी

मनोज कुमार स्वामी

बाप

नगेन्द्र नारायण किराडू

किण दरदां

चैन सिंह शेखावत

रूंख अर चिड़कली

देवीलाल महिया

गौर

देवीलाल महिया

हेत जगावै छोरयां

मीनाक्षी आहुजा

बण'र पराई

मीनाक्षी पारीक

माँ

नीलम पारीक

सीखडली

श्रीनिवास तिवाड़ी

सवाल (दो)

गौरी शंकर निम्मीवाल

कागद रा टुकड़ा

धनपत स्वामी

दो दांतां पै

विष्णु विश्वास

लाडली

हरिराम गोपालपुरा

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

गणपत सिंह ‘मुग्धेश’

बाबू सा थारा आँगणा

शकुंतला अग्रवाल 'शकुन'

लिछमी रौ अवतार

सुमन पड़िहार

बेटी अर बेटो

पवन कुमार राजपुरोहित

घर सूं भाजयोड़ी छोरी

पवन सिहाग 'अनाम'

मा री पीड़

नमामीशंकर आचार्य

अड़क बोरड़ी

प्रवीण सुथार

सीख

अमर सिंह राजपुरोहित

कुलदीपा

श्यामसुन्दर टेलर

धीवां

कमल रंगा

अजै बांचणौ है सो-कीं

गौरी शंकर निम्मीवाल