माँ

तू तो कैंवती

के बेटियां चिड़कली होवै

उड़ जावै एक दिन

पर माँ

चिड़कली तो खुले आकास में उडै...

मैं चिड़कली हूँ तो

कठै है मेरो आकास...?

स्रोत
  • सिरजक : नीलम पारीक ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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