माँ पर कवितावां

किसी कवि ने ‘माँ’ शब्द

को कोई शब्द नहीं, ‘ॐ’ समान ही एक विराट-आदिम-अलौकिक ध्वनि कहा है। प्रस्तुत चयन में उन कविताओं का संकलन किया गया है, जिनमें माँ आई है—अपनी विविध छवियों, ध्वनियों और स्थितियों के साथ।

कविता198

बुगचौ

आईदान सिंह भाटी

चेतै आयगी मां

आशीष पुरोहित

आंगणैं रो हक

राजूराम बिजारणियां

मारग

चन्द्र प्रकाश देवल

हांचळ रौ हेज

सुमन बिस्सा

चानणो

अंजु कल्याणवत

मायड़

महेंद्रसिंह छायण

कारीगरी

राजूराम बिजारणियां

भोळी चिड़कली

चंद्रशेखर अरोड़ा

गाजर रौ सीरो

अनिला राखेचा

बेटा कद आवैला गांव

राजूराम बिजारणियां

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

अबूलेंस

देवीलाल महिया

मा रिसाणी है

राजूराम बिजारणियां

बडेरा

रचना शेखावत

मंगती कोनी

देवीलाल महिया

मावड़ी अर धिवड़ी

अनुश्री राठौड़

घर कठै है

अर्जुन देव चारण

अेक रोटी

विजय राही

हरिया रूंख

अंजु कल्याणवत

खूंटो

सुनील कुमार

परलै री घड़ी

अर्जुन देव चारण

मां

मंजू किशोर 'रश्मि'

मन री चावना

मीनाक्षी बोराणा

काळजै बायरौ

अर्जुन देव चारण

चिड़कली

अंकिता पुरोहित

मां रो हेत

देवकरण जोशी 'दीपक'

मायड़ रौ परस

भारती कविया

गा

मनोज कुमार स्वामी

पुळ

मनमीत सोनी

धरती मा

भंवर कसाना

सिटल

कुमार श्याम

चेत गावड़ी

चेतन स्वामी

कीड़ी नगरो

पूनमचंद गोदारा

सवाल

वरदी चंद राव 'विचित्र'

छपरो

पवन सिहाग 'अनाम'

थूं कठै है

किरण राजपुरोहित 'नितिला'

पीळो पोमचो

कृष्णा आचार्य

म्हारा पिताजी

गौरी शंकर निम्मीवाल

दुःख

खेतदान