माँ पर कवितावां

किसी कवि ने ‘माँ’ शब्द

को कोई शब्द नहीं, ‘ॐ’ समान ही एक विराट-आदिम-अलौकिक ध्वनि कहा है। प्रस्तुत चयन में उन कविताओं का संकलन किया गया है, जिनमें माँ आई है—अपनी विविध छवियों, ध्वनियों और स्थितियों के साथ।

कविता220

बुगचौ

आईदान सिंह भाटी

चेतै आयगी मां

आशीष पुरोहित

प्रेम री परीभाषा

सत्येंद्र चारण

दीठाव रै बेजा मांय

तेजसिंह जोधा

मारग

चन्द्र प्रकाश देवल

आंगणैं रो हक

राजूराम बिजारणियां

हांचळ रौ हेज

सुमन बिस्सा

बडेरा

रचना शेखावत

मंगती कोनी

देवीलाल महिया

मावड़ी अर धिवड़ी

अनुश्री राठौड़

भोळी चिड़कली

चंद्रशेखर अरोड़ा

गाजर रौ सीरो

अनिला राखेचा

बेटा कद आवैला गांव

राजूराम बिजारणियां

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

अबूलेंस

देवीलाल महिया

मा रिसाणी है

राजूराम बिजारणियां

घर कठै है

अर्जुनदेव चारण

थूं कद जीवती ही मां

अर्जुनदेव चारण

कारीगरी

राजूराम बिजारणियां

चानणो

अंजु कल्याणवत

हरिया रूंख

अंजु कल्याणवत

अेक रोटी

विजय राही

मायड़

महेंद्रसिंह छायण

अंताखरी

सत्यप्रकाश जोशी

समझ

तुषार पारीक

मां-बेटी

ज़ेबा रशीद

मा

मनोज कुमार स्वामी

मां अर बेटो

सत्येंद्र चारण

जोगमाया

तेजस मुंगेरिया

जग चावौ मरुधरियौ

अमर सिंह राजपुरोहित

आंगण कोड मनावै

राजेश कुमार व्यास

अेको करणो पड़सी

राजेन्द्र जोशी

निजर

मनोज कुमार स्वामी

मा-बेटी

मनोज कुमार स्वामी

हित्या रौ उच्छब

अर्जुनदेव चारण

मा

भारती पुरोहित

टूटगी रिस्तां री डोर

रजा मोहम्मद खान

माँ री हथेळी पर

संदीप 'निर्भय'

उठ ललकारो रे

कल्याणसिंह राजावत

पटराणी

कमल रंगा

ढोकळिया

लालचन्द मानव

चिड़कली

राजेन्द्र सिंह चारण

आओ बेटी बचावां

रचना शेखावत