माँ पर कवितावां

किसी कवि ने ‘माँ’ शब्द

को कोई शब्द नहीं, ‘ॐ’ समान ही एक विराट-आदिम-अलौकिक ध्वनि कहा है। प्रस्तुत चयन में उन कविताओं का संकलन किया गया है, जिनमें माँ आई है—अपनी विविध छवियों, ध्वनियों और स्थितियों के साथ।

कविता196

चेतै आयगी मां

आशीष पुरोहित

आंगणैं रो हक

राजूराम बिजारणियां

मारग

चन्द्र प्रकाश देवल

हांचळ रौ हेज

सुमन बिस्सा

भोळी चिड़कली

चंद्रशेखर अरोड़ा

गाजर रौ सीरो

अनिला राखेचा

बेटा कद आवैला गांव

राजूराम बिजारणियां

अबूलेंस

देवीलाल महिया

मा रिसाणी है

राजूराम बिजारणियां

बडेरा

रचना शेखावत

मंगती कोनी

देवीलाल महिया

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

अेक रोटी

विजय राही

हरिया रूंख

अंजु कल्याणवत

कारीगरी

राजूराम बिजारणियां

चानणो

अंजु कल्याणवत

मायड़

महेंद्रसिंह छायण

मा री मै'मां

रामजीलाल घोड़ेला 'भारती'

मां

चंद्रशेखर अरोड़ा

इसो बसंत खिलादै मा

लक्ष्मीनारायण रंगा

मा खातर कविता

नीरज दइया

समर्पण

अन्नाराम ‘सुदामा'

धीयां नै

सत्यप्रकाश जोशी

हॉर्स ब्लाइंड

मनीषा आर्य सोनी

अफसर

आशीष पुरोहित

सेयर बाजार

अर्जुन देव चारण

रगत

भगवती प्रसाद चौधरी

मावड़ी अर धिवड़ी

अनुश्री राठौड़

ध्वजवन्दन

कान्ह महर्षि

ऊंडी भखारियां

अर्जुन देव चारण

ओळू आई

सिया चौधरी

धरती सूखी कोनी हुवै

मदन गोपाल लढ़ा

सुपनो

सुनील कुमार लोहमरोड़ ‘सोनू’

चाय पींवती मां

राजेश कुमार व्यास

बिलोवणो

पूनमचंद गोदारा

कागद रा टुकड़ा

धनपत स्वामी

थारी गाथा

अर्जुन देव चारण

घर कठै है

अर्जुन देव चारण

मा

मोनिका शर्मा

पोसाळ

श्याम महर्षि

नींद अर बातां

अर्जुन देव चारण

खिज्योड़ी मा

मोनिका शर्मा

थारी चिरळाट

अर्जुन देव चारण