माँ पर काव्य खंड

किसी कवि ने ‘माँ’ शब्द

को कोई शब्द नहीं, ‘ॐ’ समान ही एक विराट-आदिम-अलौकिक ध्वनि कहा है। प्रस्तुत चयन में उन कविताओं का संकलन किया गया है, जिनमें माँ आई है—अपनी विविध छवियों, ध्वनियों और स्थितियों के साथ।

काव्य खंड3

कित चाल्यो आधी रात

रामसिंह सोलंकी

तनोटराय माताजी रौ छंद

भांवरदान बारहठ ‘भांण’

छंद करणी जी रौ

रामदान बारहठ ‘सांगड़’