बेटी पर कहाणियां

हिंदी कविता में बेटियों

का आगमन उनकी आशाओं-आकांक्षाओं और नम्र आक्रोश के साथ हुआ है, तो पिता बनकर उतरे कवियों ने उनसे संवाद की कोशिश भी की है। प्रस्तुत चयन में इस दुतरफ़ा संवाद को अवसर देती कविताओं का संकलन किया गया है।

कहाणी3

कूंपळ

सवाई सिंह शेखावत

गळी जिसी गळी

सांवर दइया

बेटी रौ बाप

अन्नाराम ‘सुदामा'