बेटी पर उद्धरण

हिंदी कविता में बेटियों

का आगमन उनकी आशाओं-आकांक्षाओं और नम्र आक्रोश के साथ हुआ है, तो पिता बनकर उतरे कवियों ने उनसे संवाद की कोशिश भी की है। प्रस्तुत चयन में इस दुतरफ़ा संवाद को अवसर देती कविताओं का संकलन किया गया है।

उद्धरण1

quote

“माईतां री निजर में उखरड़ी बधतां वार लागै तौ बेटी रौ डील बधतां वार लागै!”

विजयदान देथा