बैठी ही

हाथ में मांग्योड़ी रोटी

अर रेहड़ी आळै रा दियोड़ा

गळेड़ा टमाटर लियां

अेक पत्रकार कैयो-

'फोटू खींचो

भारत री तसवीर है!'

पण

म्हैं इण मांय

अर म्हारै मांय

कीं फरक नीं समझूं ...

मांग्योड़ी रोटी रो

पूरो कस काढसी

मसळ'र छोडसी

दांतां तळै

अर रस बणाय'र

हजम करसी!

बां लूंठोड़ां सूं तो

लाख तकड़ी है

जिका आपरी मरजी सूं

खा सकै नीं,

पी सकै नीं,

सो सकै नीं

म्हारै देस री कविता

मजदूर री बेटी

सै सूं तकड़ी है।

स्रोत
  • पोथी : बेटी ,
  • सिरजक : मनोजकुमार स्वामी ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : Pratham
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