वीर पर दूहा

विकट परिस्थिति में भी

आगे बढ़कर अपने कर्तव्यों का पालन करने वाले व्यक्ति को वीर कहा जाता है और उसकी वीरता की प्रशंसा की जाती है। इस चयन में वीर और वीरता को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

दूहा33

दमँगल बिण अपचौ

सूर्यमल्ल मीसण

हेली धव चढिया हमैं

नाथूसिंह महियारिया

राणौ फसियौ राड़ में

नारायण सिंह जोधा

शहीद-पचीसी

मदनसिंह राठौड़

अइ रे अकबरियाह

पृथ्वीराज राठौड़

सहु गोधळिया पास

पृथ्वीराज राठौड़

कटै न को दिन काटियां

नाथूसिंह महियारिया

खग-कूंची जादू करै

नाथूसिंह महियारिया

वा दिस सखी! सुहावणी

नाथूसिंह महियारिया

रण चढ़िया पट पहरियां

नाथूसिंह महियारिया

दूहा

रामसिंघ सोलंकी

बाला चाल म बीसरे

सूर्यमल्ल मीसण

बाप पड़यौ् तिण ठौड़ हूँ

नाथूसिंह महियारिया

वाही रांण प्रतापसी

पृथ्वीराज राठौड़

धीरा धीरा ठाकुरां

सूर्यमल्ल मीसण

नागण जाया चिटला

सूर्यमल्ल मीसण

कदै तक सूतौ रैला

अमर सिंह राजपुरोहित

पातळ रांण प्रवाड़मल

पृथ्वीराज राठौड़

माई अहड़ा पूत जण

पृथ्वीराज राठौड़

सह गावड़ियै साथ

पृथ्वीराज राठौड़

सहणी सबरी हूँ सखी

सूर्यमल्ल मीसण

चोथौ चीतोड़ाह

पृथ्वीराज राठौड़

वाही रांण प्रतापसी

पृथ्वीराज राठौड़

पातळ घड़ पतसाह री

पृथ्वीराज राठौड़

ज खल भग्गा तो सखी

सूर्यमल्ल मीसण

कै तौ धव रण जीतिया

नाथूसिंह महियारिया