वीर पर कवितावां

विकट परिस्थिति में भी

आगे बढ़कर अपने कर्तव्यों का पालन करने वाले व्यक्ति को वीर कहा जाता है और उसकी वीरता की प्रशंसा की जाती है। इस चयन में वीर और वीरता को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

कविता31

पुरु

गिरधारी सिंह पड़िहार

मतीरे री राड़

सत्येन्द्र सिंह चारण झोरड़ा

सूरमा

पवन सिहाग 'अनाम'

राजस्थानी बातां

रामाराम चौधरी

दुर्गादास

नारायण सिंह भाटी

बोलबाला छै

हीरालाल सास्त्री

रजपूतण

ज्ञानसिंह चौहान

धमाळ

ताड़केश्वर शर्मा

माउ तरेसा कै माउ तरैसी

ब्रज नारायण कौशिक

माटी रा रंगरेज

रेवतदान चारण कल्पित

सीस काट दी सैनांणी

संतोष शेखावत ‘बरड़वा’

राजस्थान

सोनी सांवरमल

बांवळी

पूनमचंद गोदारा

रजवट रजथांण री

संतोष शेखावत ‘बरड़वा’

राजपूत रो डावड़ो

रावत सारस्वत

गोविन्द गरू रा टाबरिया

गिरधारी सिंह पड़िहार

राजहंसां रो देसूंटो

सुमेरसिंह शेखावत

बींदणी री पुकार

नाथूलाल गुप्त

मरण पंथ रा पथी

सुमनेस जोशी

हार मत हिम्मत रे

लक्ष्मण सिंघ ‘रसवंत’

मती घटाज्यो देस रो माँण...

रामजीवण सारस्वत ‘जीवण’

होठां रा पट खोल मिनख

शंकरलाल स्वामी

अठै राणा जैड़ो सूरवीर कठै

दीपा परिहार 'दीप्ति'

सांचोड़ौ समर-वीर

संतोष शेखावत ‘बरड़वा’

वसुधा वीरां री

रेवतदान चारण कल्पित

गायां लायौ गौरवै

संतोष शेखावत ‘बरड़वा’

भीष्म

चैन सिंह शेखावत

निवण वीर जवानां नै

रामजीलाल घोड़ेला 'भारती'