म्हैं परतीतूं आज

जाणै भीष्म बण्यो बैठ्यो हूं।

डचका भरतो बगत

ईयां लागै कै कीं पूछसी

अबखायां नै अंवेरतां

किण नै कांईं सूझसी

खुद रा ताना बाना उळझ्योड़ो

ठेटूं ठेट तप्यो बैठ्यो हूं।

बाको फाड्यां महाभारत

सगळी सोध सवालां सारू

उथळा आवै किण कानी सूं

निजरां अटकी झालां सारू

मून मनायो मैं’गो पड़ग्यो

आरूं पार छण्यो बैठ्यो हूं।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (दूजो सप्तक) ,
  • सिरजक : चैन सिंह शेखावत ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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