द्वापर में आयौ हौ कान्हौ,

गायां री रिख्या राखण नै।

कुळजुग में आया तेजाजी,

जूनी रीत निभावण नै॥

चाल्या हा सत मारग माथै,

अर खुद रौ कोल निभायौ जी।

वे अमर होयगा जग मांही,

सतवादी नांव कहायौ जी॥

किरसाणां रा सांचा संगी,

अबखी में आडा आवै है।

खेतीहर तेजौ गावतड़ा,

खेतां में मौज उडावै है॥

ढळतोड़ी मांझल रातां नै,

जदै गांव पनेरा मांयनै।

गायां बाछड़िया लेय गिया,

मेणां टोळी सूं आयनै॥

लाछां रोवतड़ी गढ़ आयी,

रे वात सामळौ मोट्यारां।

गायां नै चोर लयी मेणां,

मिनखां चढ जावौ रै वारां॥

लाछा फरतोड़ी दे बांगा,

आगै नीं आयौ हेक मरद।

कुण वार चढै अबळा सारू,

कुण जांणै लाछां तणौ दरद॥

तेजोजी गरजै जोर घणौ,

मेणां पर खायी खार घणी।

म्हैं मर जाऊं गायां खातिर,

पत राखूं निज मरजाद तणी॥

महलां में पेमल छोड गिया,

तेजोजी भालो हाथ धर्‌यौ।

रातोड़ै नैणां रगत रमै,

आपाणौ अंतस मांय भर्‌‌‌यौ॥

लाछां मनड़ै धीरप धारौ,

काचोड़ै मन मतना कळपौ।

ल्यावूंलौ गायां परभातै,

दूं बचन थनै थां मत डरपौ॥

लाछां केवै मा'राज सुणौ,

मत वार चढौ थां हेकलड़ा।

मेणां री गिणती घणी धणी,

थां ऊपर पड़ जासी कलड़ा॥

लाछां मन नै समझा लेवौ,

डावोड़ै भालौ म्हैं धारूं।

गायां तौ लाऊं लाछा सुण,

गिण गिणनै मेणां नै मारूं॥

तेजल हाल्यौ गायां लेवण,

मारग में वासग नाग बळै।

मन जीव दया जाणी तेजौ,

भालै सूं फेंक्यौ नाग परै॥

काळै रै मनड़ै झाळ उठी,

क्यूं देही दाग लगायौ रे।

बळ जातौ तो सुरगां जातौ,

क्यूं धोळ्या आडौ आयौ रे॥

अब थनै डसूंलौ सुण तेजा,

थां रै सूं बदळौ लेऊंलौ।

काळै रौ बैरी है धोळौ,

म्हैं जूनौ बैर निभाऊंलौ॥

तेजल है बेटौ जाट तणौ,

धोळ्यौ मरणै सूं डरै नहीं।

थूं डस लीजै वासग राजा,

भीरू बण तेजल मरै नहीं॥

गूजरड़ी री गायां लेवण,

म्हैं लड़णै जाऊं मेणां सूं।

गायां लाछां री ले आऊं,

पाछौ थांरी बांबी आसूं॥

वासग रै बचनां में बँधियौ,

सूरौ मुड़ियौ मेणां कांनी।

वो रगत सिनाड़ी रणधरती,

गायां ल्यायौ लाछां तांणी॥

जद भेर गियौ केरड़िया नै,

मेणां तेजल सूं घात कियौ।

केरड़ियौ सागै लेय लियौ,

पण लोही लथपथ होय गियौ॥

केरड़ियौ लाछां नै दिन्हौ,

बांबी पर आयौ तेजाजी।

म्हैं कोल निभावण आय गियौ,

काळै सूं बोलै तेजाजी॥

थूं कोल पुरायौ हे तेजल,

तें लाज रखी मरजाद तणीं।

म्हैं दान करूं जीवण थांरौ,

पाछौ घिरजा रे मांन धणीं॥

जीवन जीणै रौ मोह नहीं,

बेटी हूं अस्सल जाट तणौ।

म्हारै पर तरस करौ मत ना,

मरणै रौ म्हानै कोड घणौ॥

थांरोड़ै अंगां रगत झरै,

लोही पर काळौ नहीं इसै।

सुण पाछौ फिरजा धोळ्या थूं,

महलां में परणेड़ी तरसै॥

हाथेळ्यां घाव नहीं लागौ,

अर जीभ जोयलै वासग थूं।

पेमल री चिंत्या कोनी जी,

लै कोल निभा रै वासग थूं॥

भालै रै सा’रै नाग चढै,

अर जीभड़ली पर डस लिन्हौ।

तेजल थांरौ सत मोटौ हौ,

मरकर थूं बचन निभा दिन्हौ॥

लीलण तेजल रै लारै ही,

पेमल सागै सुरगां हाली।

जग याद करैला जुगां-जुगां,

बळिदांण दियौ रीतां पाळी॥

देवरिया बणिया गांव-गांव,

नर नारी धोक लगावै जी।

तेजोजी दुखड़ा मेटै है,

बुडतड़ा पार पुगावै जी॥

घर-घर पूजीजै तेजाजी,

थां गांव गुवाड़ी रखवाळा।

खड़नाळै मिंदर जोर घणौ,

मा'राज कहीजौ सांपांळा॥

स्रोत
  • पोथी : सबद भरै है साख ,
  • सिरजक : संतोष शेखावत ‘बरड़वा’ ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार
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