माटी में मिल गया बीज जद

ऊग्या रूख हजारा

आपो मेट, मिट्यो जद बादळ

फूटी जळ री धारा

दिवलो जळ-बळ मिल्यो खाकमे

करग्यो ज्योत उजाळो

मरण बाध कूद्यो सिखरा सू

वो झरणो मतवाळो

वो झरणो मतवाळो—

उण रो मरण-पथ कुण देखै

जग तो प्रीत करै ज्योती सू

बळणो करमा लेखै

बीज गया पाताळ

धरण सू ऊचा तरवर छाया

नीवा मे गड गया—

उणा रा गीत कोई गाया

कोई गाव गीत, गावै

उण कद अभिलासा

मरण-पथ रा पथी तो बस

करम करण रा प्यासा

धिन-धिन धरती रा जाया

जो निज आपो मेट

नयो रूप आकार धरा नै

जो कर जावै भेट

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : सुमनेस जोशी ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य संगम (अकादमी) बीकानेर ,
  • संस्करण : दूसरा संस्करण
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