विश्वास पर कवितावां

बाथां में भूगोल लियां

मिनखां अर जीवां नै भरोसे माथै बड़ो भरोसो है। भरोसे माथै भीड़ भागै अर भरोसो ई जीव रौ आधार है। अठै प्रस्तुत रचना-संग्रै भरोसे नै लेय'र रचियोड़ो है।

कविता285

प्रीत मंडाण

सुरेश कुमार डूडी

चंवरी

मेघराज मुकुल

स्वाद

आईदान सिंह भाटी

अेकला बळै

आशीष बिहानी

रूंखां में भगवान

अमर सिंह राजपुरोहित

म्हारी उमर

रामाराम चौधरी

डंकै री चोट

जयनारायण व्यास

धोरै री ढाळ माथै भासा

आईदान सिंह भाटी

म्हूं के बोलूं

अखिलेश्वर

घर

प्रवीण सुथार

पतियारौ

गजेसिंह राजपुरोहित

व्हां

किशन ‘प्रणय’

गांव में

मनमीत सोनी

ओळख

कुमार अजय

पाणी

संजू श्रीमाली

भरोसैमंद आखर

नंद भारद्वाज

बात री सरुआत

पारस अरोड़ा

सांच अर झूठ

चैन सिंह शेखावत

मन रा तार

कैलाश मंडेला

म्हूं बिणजारो

नन्दकिशोर चतुर्वेदी

पड़दै रै लारै

आत्माराम

चेतौ

सुमन बिस्सा

ओळ्यूं

बंशीलाल सोलंकी

थारी आ कुचरणी

प्रहलादराय पारीक

विश्वसुन्दरी रै मिस

अन्नाराम ‘सुदामा'

खामचाई

राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'

गोविन्द गरू रा टाबरिया

गिरधारी सिंह पड़िहार

भटकाया

मुखराम माकड़ ‘माहिर’

अणकही

सोनाली सुथार

ओळ्यां अर आंधी

संजय पुरोहित

हेत री गंगा

जेठानंद पंवार

भरोसौ

सत्यप्रकाश जोशी

धरती धंस जावै

पूजाश्री

रिवाज री बुगची

सुमन पड़िहार

बसंत

भगवती लाल व्यास

आस इणी में

कमल रंगा

अैलान

सुधीर राखेचा

सुवाल

दीनदयाल शर्मा

मैं कांईं करूं?

खिज्रो सुधांशु

मून रो म्यांनो

आशीष पुरोहित

खतरौ घणौ है दुणिया माय

शकुंतला अग्रवाल 'शकुन'

आंख्यां मांय हंसतौ गांव

गौरीशंकर निमिवाळ

नीसांणी

ठाकुर प्रेमसिंह ऊदावत

माँ रा सपना

राजदीप सिंह इन्दा