विश्वास पर कवितावां

बाथां में भूगोल लियां

मिनखां अर जीवां नै भरोसे माथै बड़ो भरोसो है। भरोसे माथै भीड़ भागै अर भरोसो ई जीव रौ आधार है। अठै प्रस्तुत रचना-संग्रै भरोसे नै लेय'र रचियोड़ो है।

कविता291

प्रीत मंडाण

सुरेश कुमार डूडी

चंवरी

मेघराज मुकुल

स्वाद

आईदान सिंह भाटी

अेकला बळै

आशीष बिहानी

घर

प्रवीण सुथार

म्हारी उमर

रामाराम चौधरी

रूंखां में भगवान

अमर सिंह राजपुरोहित

पतियारौ

गजेसिंह राजपुरोहित

धोरै री ढाळ माथै भासा

आईदान सिंह भाटी

म्हूं के बोलूं

अखिलेश्वर

डंकै री चोट

जयनारायण व्यास

व्हां

किशन ‘प्रणय’

घर

सुधीर राखेचा

वो तोड़ै है

भगवती लाल व्यास

मनख-बावळो

प्रीतिमा ‘पुलक’

भादवै रो मेह

कृष्ण बृहस्पति

ऊँचे अडाण माथै

रतन सिंह चांपावत

मिलण

पूजाश्री

जूनी बातां रा जूना ऐहनाण

भवानीसिंह राठौड़ 'भावुक’

पांच माथा चाईजै

गौरीशंकर निमिवाळ

झूठौ बणज

प्रेमजी ‘प्रेम’

मां अर बगसो

किरण बाला 'किरन'

उठाया दोनूं हाथ

प्रियंका भट्ट

परकत इच्छा

नन्दकिशोर चतुर्वेदी

जागती-जोत

बुद्धरंजन शर्मा

काळ / सुकाळ

छगनलाल व्यास

बिलोवणो

पूनमचंद गोदारा

आस इणी में

कमल रंगा

अैलान

सुधीर राखेचा

सुवाल

दीनदयाल शर्मा

मैं कांईं करूं?

खिज्रो सुधांशु

मून रो म्यांनो

आशीष पुरोहित

खतरौ घणौ है दुणिया माय

शकुंतला अग्रवाल 'शकुन'

आंख्यां मांय हंसतौ गांव

गौरीशंकर निमिवाळ

नीसांणी

ठाकुर प्रेमसिंह ऊदावत

माँ रा सपना

राजदीप सिंह इन्दा

दुनियादारी

नन्दकिशोर चतुर्वेदी

तीन कवितावां

जबरनाथ पुरोहित

दूब

सीमा पारीक

पाछा चालो खेत में

विमला महरिया 'मौज'

म्हूं लिखूंला

रामकुमार भाम्भू

सूखी नदी

रमेश मयंक

बदलो

हरदान हर्ष

भरोसो

अनिल अबूझ

दीठ रो फरक

आरती छंगाणी

किरसो

संजू श्रीमाली