विश्वास पर कवितावां

बाथां में भूगोल लियां

मिनखां अर जीवां नै भरोसे माथै बड़ो भरोसो है। भरोसे माथै भीड़ भागै अर भरोसो ई जीव रौ आधार है। अठै प्रस्तुत रचना-संग्रै भरोसे नै लेय'र रचियोड़ो है।

कविता298

प्रीत मंडाण

सुरेश कुमार डूडी

चंवरी

मेघराज मुकुल

स्वाद

आईदान सिंह भाटी

अेकला बळै

आशीष बिहानी

धोरै री ढाळ माथै भासा

आईदान सिंह भाटी

म्हूं के बोलूं

अखिलेश्वर

पतियारौ

गजेसिंह राजपुरोहित

घर

प्रवीण सुथार

रूंखां में भगवान

अमर सिंह राजपुरोहित

म्हारी उमर

रामाराम चौधरी

डंकै री चोट

जयनारायण व्यास

व्हां

किशन ‘प्रणय’

आस इणी में

कमल रंगा

अैलान

सुधीर राखेचा

सुवाल

दीनदयाल शर्मा

मैं कांईं करूं?

खिज्रो सुधांशु

मून रो म्यांनो

आशीष पुरोहित

खतरौ घणौ है दुणिया माय

शकुंतला अग्रवाल 'शकुन'

आंख्यां मांय हंसतौ गांव

गौरीशंकर निमिवाळ

नीसांणी

ठाकुर प्रेमसिंह ऊदावत

माँ रा सपना

राजदीप सिंह इन्दा

दुनियादारी

नन्दकिशोर चतुर्वेदी

तीन कवितावां

जबरनाथ पुरोहित

काळ / सुकाळ

छगनलाल व्यास

बिलोवणो

पूनमचंद गोदारा

म्हूं लिखूंला

रामकुमार भाम्भू

सूखी नदी

रमेश मयंक

बदलो

हरदान हर्ष

भरोसो

अनिल अबूझ

दीठ रो फरक

आरती छंगाणी

किरसो

संजू श्रीमाली

मिनख-मिनख री मार

कपिलदेव आर्य

चांद रो चितराम

चैन सिंह शेखावत

भणाई रो बळ

जेठानंद पंवार

भींत

महेंद्र मोदी

कदमताळ

गोरधन सिंह शेखावत

बस! इत्तो ई चावै नारी

मीनाक्षी पारीक

होसी थारी-म्हारी बातां

दशरथ कुमार सोलंकी

व कुण है

चंद्रशेखर अरोड़ा

अंध विश्वास रो अन्त

रतना ‘राहगीर’

एक मांदो गांव’र मैं

रामस्वरूप ‘परेश’

झूठौ बणज

प्रेमजी ‘प्रेम’

मां अर बगसो

किरण बाला 'किरन'

उठाया दोनूं हाथ

प्रियंका भट्ट

परकत इच्छा

नन्दकिशोर चतुर्वेदी

जागती-जोत

बुद्धरंजन शर्मा