विश्वास पर कवितावां

बाथां में भूगोल लियां

मिनखां अर जीवां नै भरोसे माथै बड़ो भरोसो है। भरोसे माथै भीड़ भागै अर भरोसो ई जीव रौ आधार है। अठै प्रस्तुत रचना-संग्रै भरोसे नै लेय'र रचियोड़ो है।

कविता256

प्रीत मंडाण

सुरेश कुमार डूडी

चंवरी

मेघराज मुकुल

अेकला बळै

आशीष बिहानी

स्वाद

आईदान सिंह भाटी

म्हारी उमर

रामाराम चौधरी

डंकै री चोट

जयनारायण व्यास

व्हां

किशन ‘प्रणय’

रूंखां में भगवान

अमर सिंह राजपुरोहित

पतियारौ

गजेसिंह राजपुरोहित

धोरै री ढाळ माथै भासा

आईदान सिंह भाटी

म्हूं के बोलूं

अखिलेश्वर

घर

प्रवीण सुथार

भडूकणो (गुब्बारो)

देवीलाल महिया

जंगळी

अशोक परिहार 'उदय'

सुवारथ

दीपचन्द सुथार

अखण्डता रो दिवलो

रामनिरंजन सरमा ‘ठिमाऊ’

काळ / सुकाळ

छगनलाल व्यास

बिलोवणो

पूनमचंद गोदारा

गांव में

मनमीत सोनी

पाणी

संजू श्रीमाली

बात री सरुआत

पारस अरोड़ा

सांच अर झूठ

चैन सिंह शेखावत

पड़दै रै लारै

आत्माराम

चेतौ

सुमन बिस्सा

ओळ्यूं

बंशीलाल सोलंकी

थारी आ कुचरणी

प्रहलादराय पारीक

विश्वसुन्दरी रै मिस

अन्नाराम ‘सुदामा'

खामचाई

राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'

गोविन्द गरू रा टाबरिया

गिरधारी सिंह पड़िहार

भटकाया

मुखराम माकड़ ‘माहिर’

अणकही

सोनाली सुथार

ओळ्यां अर आंधी

संजय पुरोहित

हेत री गंगा

जेठानंद पंवार

भरोसौ

सत्यप्रकाश जोशी

धरती धंस जावै

पूजाश्री

रिवाज री बुगची

सुमन पड़िहार

बसंत

भगवती लाल व्यास

आस इणी में

कमल रंगा

अैलान

सुधीर राखेचा

सुवाल

दीनदयाल शर्मा

मैं कांईं करूं?

खिज्रो सुधांशु

मून रो म्यांनो

आशीष पुरोहित

खतरौ घणौ है दुणिया माय

शकुंतला अग्रवाल 'शकुन'