पग-पग

नूंवा दरसाव

थे जिका दिखावो हो

बै म्हैं कदैई लारै छोड दिया

अबै नीं हुय सकै वांरी कुचमाद रो

म्हारै ऊपर असर

राई नैं ताड़

बणावण री जुगत थे करो

खुद री जमीन हुवै

तो ओळखाण मिलै

आभै माथै कदैई पग नीं टिकै

चालणो है तो करणो पड़सी

बतावणो पड़सी

आपो-आपरै हुवणै रो साच।

स्रोत
  • पोथी : मन रो सरणाटो ,
  • सिरजक : इरशाद अज़ीज़ ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
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