दलित पर कवितावां

हिंदी कविता में गए कुछ

दशकों में दलित-विमर्श के उजाले में चेतना की नई रोशनाई से लिखी गई कविताओं की विचलित कर देने वाली दुनिया सामने आई है। यह चयन ऐसी ही दुनिया के बीच से किया गया है।

कविता18

पिणघट

रेवतदान कल्पित

गांव-भांबी

चैनसिंह परिहार

नसबन्दी

बी एल पारस

गळांई

पवन सिहाग 'अनाम'

मुगती जठै कैद है!

उम्मेद गोठवाल

सवाल

लालचन्द मानव

जिग्यां

उम्मेद गोठवाल

खिलाफ

उम्मेद गोठवाल

इज्जत

संतोष चौधरी

बदळाव

उम्मेद गोठवाल

बगत रौ हेलो

अर्जुनसिंह शेखावत

दलित

रामकुमार भाम्भू

लुणास

शिव बोधि

कोटै रो पटवारी

सतीश सम्यक