सिंझ्या पर कवितावां

दिन और रात के बीच के

समय के रूप में शाम मानवीय गतिविधियों का एक विशिष्ट वितान है और इस रूप में शाम मन पर विशेष असर भी रखती है। शाम की अभिव्यक्ति कविताओं में होती रही है। यहाँ प्रस्तुत चयन में शाम, साँझ या संध्या को विषय बनाती कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता16

आंगणैं रो हक

राजूराम बिजारणियां

मा रिसाणी है

राजूराम बिजारणियां

सिंझया

मदन सैनी

हांज

देवी लाल जानी

गोरै दिन रै लारै सिंझ्या

कन्हैयालाल सेठिया

सूरज

जगदीश गिरी

लो, सूंपूं हूं थांनै

मीठेश निर्मोही

सांझड़ी मिस

नैनमल जैन

संझ्या : तीन चतराम

प्रेमजी ‘प्रेम’

सिंझ्याराग

मणि मधुकर

संझ्या

मोहन आलोक

बणी-ठणी

लीटू कल्पनाकांत

सांझ-सुंदरी

महेंद्रसिंह छायण

पढ़ाई

अम्बिका दत्त

गुवाळिया

रचना शेखावत