घिरणा पर कवितावां

नफ़रत या घृणा वीभत्स

रस का स्थायी भाव है। इसे चित् की खिन्नता की स्थिति के रूप में चिह्नित किया जाता है। इस चयन में नफ़रत के मनोभाव पर विचार-अवकाश लेती कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता22

पड़तख गवाह

संजय पुरोहित

निवण वीर जवानां नै

रामजीलाल घोड़ेला 'भारती'

प्रेम दिन

यूसुफ खान साहिल

चिड़कली

कान्हा शर्मा

औळमो

मघाराम लिम्बा

बिरछ देवता

बाबूलाल शर्मा

आग नफरत री बुझाओ

गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

जै लिखण वाळो हुवै

रतना ‘राहगीर’

थांरो परस

विजयसिंह नाहटा

मन री लकीरां

बाबूलाल शर्मा

ओळख भूल गयो पांच्यो

रामदयाल मेहरा

मिनख

गोरधन सिंह शेखावत

रिस्ता

रमेश भोजक 'समीर'

फरक

नवनीत पाण्डे

डाकी दायजो

कान्ह महर्षि

सतजुग

रामेश्वर दयाल श्रीमाली

अमरबेल मिनख

सुधीन्द्र कुमार ‘सुधि’

बडा आदमी

प्रदीप भट्ट

कैंसर एक्सप्रेस

मदन गोपाल लढ़ा

पड़तख गवाह

प्रमिला शरद व्यास