घिरणा पर ग़ज़ल

नफ़रत या घृणा वीभत्स

रस का स्थायी भाव है। इसे चित् की खिन्नता की स्थिति के रूप में चिह्नित किया जाता है। इस चयन में नफ़रत के मनोभाव पर विचार-अवकाश लेती कविताओं का संकलन किया गया है।

ग़ज़ल3

मिनखां में वो चाव कठै

अब्दुल समद ‘राही’

वागड़ी ग़ज़ल

छत्रपाल शिवाजी

चंडाळ चौकड़्यां रै बख में

राजेंद्र स्वर्णकार