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क्रिसण पर पद
कविता
पद
दूहा
संवैया छंद
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कवित्त
ग़ज़ल
काव्य खंड
चौपाई
छप्पय
पद
17
भरी गीत तो मिली सामही
पदम भगत
जोगी रे तू जुगत पिछाणी
जांभोजी
म्हारै हरियल वन रा सूवटडा़
पदम भगत
रैन गई अब आये नै बिहारी
तखतसिंह
मोय छाँड़ गये सजनवा
तखतसिंह
पंच हथियारा छत्री मीलिया
पदम भगत
मन लाग्यो स्याम बिहारी से
तखतसिंह
पिया स्याम सुंदर बिनु हारी
तखतसिंह
कन्हैयो हमें आडो ही बोलै
तखतसिंह
कोट गऊ जे तीरथ दानों
जांभोजी
ब्रह्मा बावै अंग लेबा लागो
पदम भगत
ब्रह्मा च्यार वेद रो नायक
पदम भगत
दरपन देखत, देखत नाहीं
नागरीदास
म्हारे म्हैंला आज्यो
तखतसिंह
मोतीड़ो मंगाय दै ददखीर रो
तखतसिंह
श्रीकृष्ण बळदेवजी हरि हळधर दोउं वीर
पदम भगत
उड़-उड़ रे काला कागा
पदम भगत