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बेह लिखिया जो लेख
डेल्हजी
भज मन! चरण-कंवल अविनासी
मीराबाई
जोगी रे तू जुगत पिछाणी
जांभोजी
अरजन काढी आखड़ी
डेल्हजी
माई री! मैं तो लियो गोविंदो मोल
मीराबाई
पपइया रे! पिव की बाणी न बोल
मीराबाई
मेरे मन के माने मोहनलाल
बखना जी
पंच हथियारा छत्री मीलिया
पदम भगत
म्हारा ओळगिया घर आया
मीराबाई
अब मोहिं नाचत राखहु नाथ
रज्जब जी
जब तें मोहि नंदनंदन दृष्टि पर्यो माई
मीराबाई
रैन गई अब आये नै बिहारी
तखतसिंह
मोय छाँड़ गये सजनवा
तखतसिंह
हे री मैं तो दरद दिवानी
मीराबाई
मेरे तो गिरधर गोपाल
मीराबाई
सखी नीर भरिबा नहिं जाऊं
संत हरदास
सब मुख स्याम सरनैं गयैं
नागरीदास
जागो बंसी वारे ललना, जागो मोरे प्यारे
मीराबाई
मैं तो सांवरे के रंग राची
मीराबाई
भरी गीत तो मिली सामही
पदम भगत
जब लग ही जग को सुख पागै
नागरीदास
मेरो मन बसि गो गिरधर लाल सों
मीराबाई
सब दुख बड़े कहायैं होय
नागरीदास
पग घुंघरू बांधि मीरां नाची
मीराबाई
कलि के जनम बिगारत लोग
नागरीदास
जोगिया री प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूळ
मीराबाई
म्हारै हरियल वन रा सूवटडा़
पदम भगत
हेरी! मैं तो दरद-दिवाणी होइ
मीराबाई
आली! म्हांनै लागै विंद्रावन नीको
मीराबाई
कलि मैं ते क्यों भक्त कहावैं
नागरीदास
हूं बूझूं पंडित जोसी!
मीराबाई
ब्रह्मा बावै अंग लेबा लागो
पदम भगत
सुनत धुनि बैंन मधुराग गौरी रुचिर
नागरीदास
ब्रह्मा च्यार वेद रो नायक
पदम भगत
दरपन देखत, देखत नाहीं
नागरीदास
म्हारे म्हैंला आज्यो
तखतसिंह
प्रभु जी थे कहाँ गयो नेहड़ी लगाय
मीराबाई
मोतीड़ो मंगाय दै ददखीर रो
तखतसिंह
अब तौ स्यांम सोवन दै, होत हैं पह पियरी
नागरीदास
श्रीकृष्ण बळदेवजी हरि हळधर दोउं वीर
पदम भगत
कलि के लोग कुमंत्री सिगरे
नागरीदास
उड़-उड़ रे काला कागा
पदम भगत
माधौ किसौ मौंह ले मिलण आऊं
संत हरदास
सखी! मेरी नींद नसानी
मीराबाई
सुदामा कूं देखत राम हँसे
मीराबाई
कहां वे सुत नाती हय हाथी
नागरीदास
पिय जिय पीर कछु पहिचान
नागरीदास
तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर
मीराबाई
मन लाग्यो स्याम बिहारी से
तखतसिंह
जावो निरमोहियो! जाणी तेरी प्रीत
मीराबाई
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