जूनौ कोस
नूवौ कोस
लोक परंपरा
ई-पुस्तक
महोत्सव
Quick Links
जूनौ कोस
नूवौ कोस
लोक परंपरा
ई-पुस्तक
महोत्सव
साइट: परिचय
संस्थापक: परिचय
अंजस सोशल मीडिया
क्रिसण पर पद
सोरठा
पद
दूहा
कविता
छंद
संवैया छंद
लोकगीत
भुजंगप्रयात छंद
कवित्त
काव्य खंड
सबद
साखी
ग़ज़ल
लेख
चौपाई
छप्पय
पद
44
बेह लिखिया जो लेख
डेल्हजी
भज मन! चरण-कंवल अविनासी
मीराबाई
जोगी रे तू जुगत पिछाणी
जांभोजी
अरजन काढी आखड़ी
डेल्हजी
माई री! मैं तो लियो गोविंदो मोल
मीराबाई
पपइया रे! पिव की बाणी न बोल
मीराबाई
मेरे मन के माने मोहनलाल
बखना जी
पंच हथियारा छत्री मीलिया
पदम भगत
अब मोहिं नाचत राखहु नाथ
रज्जब जी
रैन गई अब आये नै बिहारी
तखतसिंह
मोय छाँड़ गये सजनवा
तखतसिंह
सब मुख स्याम सरनैं गयैं
नागरीदास
मैं तो सांवरे के रंग राची
मीराबाई
भरी गीत तो मिली सामही
पदम भगत
जब लग ही जग को सुख पागै
नागरीदास
सब दुख बड़े कहायैं होय
नागरीदास
पग घुंघरू बांधि मीरां नाची
मीराबाई
कलि के जनम बिगारत लोग
नागरीदास
जोगिया री प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूळ
मीराबाई
म्हारै हरियल वन रा सूवटडा़
पदम भगत
आली! म्हांनै लागै विंद्रावन नीको
मीराबाई
कलि मैं ते क्यों भक्त कहावैं
नागरीदास
हूं बूझूं पंडित जोसी!
मीराबाई
ब्रह्मा बावै अंग लेबा लागो
पदम भगत
सुनत धुनि बैंन मधुराग गौरी रुचिर
नागरीदास
ब्रह्मा च्यार वेद रो नायक
पदम भगत
दरपन देखत, देखत नाहीं
नागरीदास
म्हारे म्हैंला आज्यो
तखतसिंह
मोतीड़ो मंगाय दै ददखीर रो
तखतसिंह
अब तौ स्यांम सोवन दै, होत हैं पह पियरी
नागरीदास
श्रीकृष्ण बळदेवजी हरि हळधर दोउं वीर
पदम भगत
कलि के लोग कुमंत्री सिगरे
नागरीदास
उड़-उड़ रे काला कागा
पदम भगत
सखी! मेरी नींद नसानी
मीराबाई
सुदामा कूं देखत राम हँसे
मीराबाई
कहां वे सुत नाती हय हाथी
नागरीदास
पिय जिय पीर कछु पहिचान
नागरीदास
मन लाग्यो स्याम बिहारी से
तखतसिंह
जावो निरमोहियो! जाणी तेरी प्रीत
मीराबाई
पिया स्याम सुंदर बिनु हारी
तखतसिंह
कन्हैयो हमें आडो ही बोलै
तखतसिंह
कोट गऊ जे तीरथ दानों
जांभोजी
जीवत मृतक व्है गयो वृद्ध
नागरीदास
तरुन भयो तरुनी संग राच्यो
नागरीदास