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32
बेह लिखिया जो लेख
डेल्हजी
पपइया रे! पिव की बाणी न बोल
मीराबाई
जोगी रे तू जुगत पिछाणी
जांभोजी
अरजन काढी आखड़ी
डेल्हजी
माई री! मैं तो लियो गोविंदो मोल
मीराबाई
भज मन! चरण-कंवल अविनासी
मीराबाई
ब्रह्मा बावै अंग लेबा लागो
पदम भगत
ब्रह्मा च्यार वेद रो नायक
पदम भगत
दरपन देखत, देखत नाहीं
नागरीदास
म्हारे म्हैंला आज्यो
तखतसिंह
मोतीड़ो मंगाय दै ददखीर रो
तखतसिंह
श्रीकृष्ण बळदेवजी हरि हळधर दोउं वीर
पदम भगत
उड़-उड़ रे काला कागा
पदम भगत
सखी! मेरी नींद नसानी
मीराबाई
अब मोहिं नाचत राखहु नाथ
रज्जब जी
रैन गई अब आये नै बिहारी
तखतसिंह
मोय छाँड़ गये सजनवा
तखतसिंह
पग घुंघरू बांधि मीरां नाची
मीराबाई
जोगिया री प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूळ
मीराबाई
म्हारै हरियल वन रा सूवटडा़
पदम भगत
आली! म्हांनै लागै विंद्रावन नीको
मीराबाई
हूं बूझूं पंडित जोसी!
मीराबाई
मेरे मन के माने मोहनलाल
बखना जी
पंच हथियारा छत्री मीलिया
पदम भगत
मैं तो सांवरे के रंग राची
मीराबाई
भरी गीत तो मिली सामही
पदम भगत
सुदामा कूं देखत राम हँसे
मीराबाई
मन लाग्यो स्याम बिहारी से
तखतसिंह
जावो निरमोहियो! जाणी तेरी प्रीत
मीराबाई
पिया स्याम सुंदर बिनु हारी
तखतसिंह
कन्हैयो हमें आडो ही बोलै
तखतसिंह
कोट गऊ जे तीरथ दानों
जांभोजी