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क्रिसण पर सबद
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सबद
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ग़ज़ल
चौपाई
छप्पय
सबद
4
मेरे लालन हो, दरस द्यो क्यूँ नांही
बखना जी
गोविंद किसौ औगुण मांहि
हरिदास निरंजनी
संतो..! कुवधि काल तैं डरिये
हरिदास निरंजनी
अब मोहि दरस दिखाइ माधवे
हरिदास निरंजनी