दुख पर कवितावां

कविता153

बीज नै उगणो पड़सी

भीम पांडिया

सबदां री हद रै मांय

आईदान सिंह भाटी

अबूलेंस

देवीलाल महिया

बंटवारो

भगवती लाल व्यास

नुसखौ

चन्द्र प्रकाश देवल

पका तिरस नै

रेणुका व्यास 'नीलम'

मन री पीड़ा मन में पाची

संतोष कुमार पारीक

परवाणां

ज़ेबा रशीद

मन नै मारण रो उपाव

प्रिया शर्मा

सरप री सांकळ

मणि मधुकर

दुःख

खेतदान

आसमान

जितेन्द्र कुमार सोनी

दुख क्यूं व्है ?

जुगल परिहार

पांगळा भाई

गोरधन सिंह शेखावत

दोय घंट

दीपचन्द सुथार

बिरह

अनीता सैनी

मानखो

संजू श्रीमाली

संकळप सूरज

रामेश्वर दयाल श्रीमाली

स्यात

सुरेश जोशी

दुख

दुष्यन्त जोशी

मन री बातां

मेघराज मुकुल

बडा आदमी

प्रदीप भट्ट

चोरी करी पण मै चोर कोनी

अवन्तिका तूनवाल

आग रा छांटा

त्रिभुवन

बुणगट

भगवती लाल व्यास

म्हारी डायरी

प्रमिला शंकर

दुख रो कारण

राजकुमारी पारीक

कदर

भोगीलाल पाटीदार

पगरखी

भगवती लाल व्यास

हेत री डोर

इन्द्र प्रकाश श्रीमाली

ओ कांई ढाळो है देस रो

सत्येंद्र चारण

हलाल रो मांस

गोरधन सिंह शेखावत

पांगळी

मणि मधुकर

राणी पदमणी

मेघराज मुकुल

नित-नेम

हरीश भादानी

धारावी

जितेन्द्र कुमार सोनी

जोग

मणि मधुकर

धरती री मुळक

रमेश मयंक

गंदी हवा

चंद्रशेखर अरोड़ा

आंकड़ा का फूल

प्रेमजी ‘प्रेम’

हेलो

अशोक परिहार 'उदय'

दरद रा डूँगर

नन्दकिशोर चतुर्वेदी

तसवीर नी बोले

कैलाश मंडेला

पाप-बोध

सत्यप्रकाश जोशी

अब जाणै नीं देखणौ पड़ै

शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी

प्रीत री जेवड़ी

कृष्णा जाखड़