देश पर कवितावां

देश और देश-प्रेम कवियों

का प्रिय विषय रहा है। स्वंतत्रता-संग्राम से लेकर देश के स्वतंत्र होने के बाद भी आज तक देश और गणतंत्र को विषय बनाती हुई कविताएँ रचने का सिलसिला जारी है।

कविता46

करां कांई

चन्द्र प्रकाश देवल

देव करै धरती रखवाळी

अस्त अली खां मलकांण

वंदे मातरम्

लालचन्द मानव

भारत नैं संभाळां

गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

बोली माथै बंद

गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

सींव

नंदकिशोर सोमानी ‘स्नेह'

सेवा री लौ

जयनारायण व्यास

सांचोड़ौ समर-वीर

संतोष शेखावत ‘बरड़वा’

मत करजे चूंकारो बापू

गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

मोब लिंचिंग

चन्द्र प्रकाश देवल

बापू

गिरधारी सिंह पड़िहार

खुसी रा गीत

किशोर कुमार निर्वाण

जै सहारौ देवै तो

नमोनाथ अवस्थी

बाळगीत

रामनिरंजन सरमा ‘ठिमाऊ’

देस भगति

महेश देव भट्ट

ध्वजवन्दन

कान्ह महर्षि

मिनखां रो लोई बैवावै है...

रामजीवण सारस्वत ‘जीवण’

भारत

विष्णु विश्वास

सहीद री व्यथा

फारूक़ आफरीदी

मसीन अर बापू

चन्द्र प्रकाश देवल

देस मांय

विप्लव व्यास

मेरो देश

दीनदयाल शर्मा

मनसूबा उजड़ गिया

रामसहाय विजयवर्गीय

राज बदळग्यौ म्हांनै कांई

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

रूंख अर देस

भंवर कसाना

देस री ओळूं मांय

मदन गोपाल लढ़ा

ओ मंडाण साम्हीं है

मोहन मण्डेला

स्याबास

गोरधन सिंह शेखावत

डूंगरी न्हें बौली

भोगीलाल पाटीदार

विकास

वाज़िद हसन काजी

ओ म्हारो हिन्दुस्तान है

गणपत सिंह ‘मुग्धेश’

मन री पीड़ा मन में पाची

संतोष कुमार पारीक

देश आपणो

विजयलक्ष्मी देथा

बिखायती मारग

चन्द्र प्रकाश देवल

पांगळो तंत्र

मोनिका गौड़

सैनिक

विजय गिरि गोस्वामी 'काव्यदीप'

बापू रौ चसमौ

चन्द्र प्रकाश देवल

कांई करां हजूर!

चन्द्र प्रकाश देवल

आज़ादी

पवन सिहाग 'अनाम'

गऊ पाळक देस

नमामीशंकर आचार्य

परदेश में

कुन्दन माली

माटी रा रंगरेज

रेवतदान कल्पित

खावै

त्रिभुवन