डूंगरी माथै टापरी

अनै च्यारै आडै रूखड़ं

छैटी थकी अैवू दैखय कै

रूपाळी बाई लीला रंग नूं

टीपकं वाळू पानेतर पैरीनै ऊभी है

टापरी माथै धजा

वायरा ऊं बात करै

चौमासा मअें मकी

सियाळा मअें गऊं नौ हेंडूरौ

ऊंनाळा मअें रूखड़ नौ छाईलौ

केरीओ, मऊड़, जांबू थकी

घोर-आंगणू भराई जाय

दाडै पंखेरू नौ बौलगारौ

रातरे तम्बूड़ा अर नरगं साथै

भेमा भगत ना भजन थकी डूंगरी

रातर दाड़ौ हरग जैवी लागती

टेंम पलटौ खादौ

बेटो सेना मझें सहीद थ्यौ

कुदरतऔ साथ न्हें आल्यौ

भेमो दुनिया छोड़ीग्यौ

भेमा वना डूंगरी नौ सणगार हुंकणौ

आजै छानी-मानी ऊभी है

डूंगरी फैरू न्हें बौली।

स्रोत
  • सिरजक : भोगलाल पाटीदार ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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