राजनीति पर कवितावां

राजनीति मानवीय अंतर्क्रिया

में निहित संघर्षों और सहयोगों का मिश्रण है। लेनिन ने इसे अर्थशास्त्र की सघनतम अभिव्यक्ति के रूप में देखा था और कई अन्य विद्वानों और विचारकों ने इसे अलग-अलग अवधारणात्मक आधार प्रदान किया है। राजनीति मानव-जीवन से इसके अभिन्न संबंध और महत्त्वपूर्ण प्रभाव के कारण विचार और चिंतन का प्रमुख तत्त्व रही है। इस रूप में कविताओं ने भी इस पर पर्याप्त बात की है। प्रस्तुत चयन में राजनीति विषयक कविताओं का एक अनूठा संकलन किया गया है।

कविता83

आजादी री जीत कठै है

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

जठै देखलां भरी परात

आईदान सिंह भाटी

अलमारी

मणि मधुकर

कविता नै फांसी !

कन्हैयालाल सेठिया

आत्महंता

त्रिभुवन

चिट्ठी

श्याम महर्षि

बगत

गोपाल जैन

राज बदळग्यौ म्हांनै कांई

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

राजनीति तागै री

चेतन स्वामी

पनजी मारू

गोरधन सिंह शेखावत

खामचाई

राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'

रोळियागट जासी, सुराज आसी

गिरिजा शंकर शर्मा

जसमल : जन्ता

मणि मधुकर

किरसो

राजेश कुमार स्वामी

बारखड़ी

मणि मधुकर

आंमनौ

रेवतदान चारण कल्पित

सरनामू

भोगीलाल पाटीदार

स्याबास

गोरधन सिंह शेखावत

वड़लौ

ज्योतिपुंज

सिध-जोगी

मणि मधुकर

गंदी हवा

चंद्रशेखर अरोड़ा

मैं गयो जीतबा नै चुणात

बुद्धिप्रकाश पारीक

मारग री पिछांण

चन्द्र प्रकाश देवल

भासा

सत्यप्रकाश जोशी

क्रांति

सतीश सम्यक

विकास

वाज़िद हसन काजी

अंतस री असलियत

वाज़िद हसन काजी

मूंन रौ जलमणौ

चन्द्र प्रकाश देवल

लाचारी

मणि मधुकर

सत्ता मीठी लापसी

संतोष कुमार पारीक

लक्खण

प्रेमजी ‘प्रेम’

‘जनता’ नीं ‘आई’

देवाराम परिहार

हूंणी

मणि मधुकर

महाभारत र आसार

चंद्रशेखर अरोड़ा

बीघोड़ी

रेवतदान चारण कल्पित

चौपड़-पासा

मणि मधुकर

धाप ई कोनी

नवनीत पाण्डे

सुवाद

मणि मधुकर

राजनीति

भगवती प्रसाद चौधरी

चुनाव डायरी सूं

कृष्ण कल्पित

म्हारो गांव

श्याम महर्षि

कुरसी मिनखां नै खावै छै

बुद्धिप्रकाश पारीक

मुट्ठी

गोरधन सिंह शेखावत

थूक बिलोवणो

मोनिका गौड़

मारग रै सीगै

चन्द्र प्रकाश देवल

जै लिखण वाळो हुवै

रतना ‘राहगीर’