राजनीति पर कवितावां

राजनीति मानवीय अंतर्क्रिया

में निहित संघर्षों और सहयोगों का मिश्रण है। लेनिन ने इसे अर्थशास्त्र की सघनतम अभिव्यक्ति के रूप में देखा था और कई अन्य विद्वानों और विचारकों ने इसे अलग-अलग अवधारणात्मक आधार प्रदान किया है। राजनीति मानव-जीवन से इसके अभिन्न संबंध और महत्त्वपूर्ण प्रभाव के कारण विचार और चिंतन का प्रमुख तत्त्व रही है। इस रूप में कविताओं ने भी इस पर पर्याप्त बात की है। प्रस्तुत चयन में राजनीति विषयक कविताओं का एक अनूठा संकलन किया गया है।

कविता62

आजादी री जीत कठै है

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

जठै देखलां भरी परात

आईदान सिंह भाटी

आत्महंता

त्रिभुवन

चिट्ठी

श्याम महर्षि

बगत

गोपाल जैन

राज बदळग्यौ म्हांनै कांई

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

राजनीति तागै री

चेतन स्वामी

पनजी मारू

गोरधन सिंह शेखावत

खामचाई

राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'

रोळियागट जासी, सुराज आसी

गिरिजा शंकर शर्मा

किरसो

राजेश कुमार स्वामी

बारखड़ी

मणि मधुकर

सरनामू

भोगीलाल पाटीदार

उछाळौ

रेवतदान कल्पित

स्याबास

गोरधन सिंह शेखावत

वड़लौ

ज्योतिपुंज

गंदी हवा

चंद्रशेखर अरोड़ा

मैं गयो जीतबा नै चुणात

बुद्धिप्रकाश पारीक

मारग री पिछांण

चन्द्र प्रकाश देवल

क्रांति

सतीश सम्यक

विकास

वाज़िद हसन काजी

अंतस री असलियत

वाज़िद हसन काजी

मूंन रौ जलमणौ

चन्द्र प्रकाश देवल

सत्ता मीठी लापसी

संतोष कुमार पारीक

‘जनता’ नीं ‘आई’

देवाराम परिहार

महाभारत र आसार

चंद्रशेखर अरोड़ा

कुरसी

राजेन्द्र बारहठ

आप तो आप सा!

नवनीत पाण्डे

गांव : मातम रै माहौल में

चंद्रशेखर अरोड़ा

कांई मिल्यो!

बी.एल.माली

पगफेरौ

मणि मधुकर

म्हैं ई म्हैं

किशोर चतुर्वेदी

उच्छब

मणि मधुकर

नेता गजबी गोळा

श्याम गोइन्का

परजा

अशोक जोशी ‘क्रांत’

दट कर इधकार दिराणो है

सुआसेवक कुलदीप चारण

राजनीति नी गाय

विजय गिरि गोस्वामी 'काव्यदीप'

सांढ

भगवती प्रसाद चौधरी

कचरो चुगणआळी

प्रियंका भारद्वाज

राजीनांवौ

मणि मधुकर

चौफेर

मोहम्मद सदीक

मुगती रो मारग

सतीश सम्यक

परचार

भवानीसिंह राठौड़ 'भावुक’

कुरसी मैया री आरती

गणपतिचन्द्र भंडारी

म्हारो गांव

श्याम महर्षि

कुरसी मिनखां नै खावै छै

बुद्धिप्रकाश पारीक

मुट्ठी

गोरधन सिंह शेखावत