अणमांग्या मोती मिलै, मांगी मिलै न भीख
एक पैंड चाली कोन्या’र बाबा! तिसाई।
कबूतर नै कुवो ही दीखै।
जठे रोजगार, उठे घर-बार।
खळ गुड़ एकै भाव।
जठे राणाजी बसै, बठै ही उदेपुर है।
कंगाल छैल गांव नै भारी
गरीब को बेली राम।
ई की मा तो ई नै ही जायो।
घाव तो बैरी को सराहिये।
कदे नाव गाडी पर, कदे गाडी नाव पर
चालणी में दूद दूवै, करमां नै दोस देवै।
इज्जत की लहजत ही और हुवै है।
ऊतां कै के सींग होय है।
अक्कल उधारी कोनी मिलै।
चक्कू खरबूजै पर पड़ै तो खरबूजै को नास, खरबूजो चक्कू पर पड़ै तो खरबूजै को नास।
ऊपर राम चढ्यो देखै है।
गई बात नै जाण दे, हुई बात नै सीख।
आंख्यां सैं आंधो, नांव नैणसुख।
ईसरो सो परमेसरो।
उझल्या समदर ना डटै।
इन्नै पड़े तो कुवो, उन्नै पड़ै तो खाई।
इब पछतायां के बणै जद चिड़िया चुग गई खेत।
इमरत तो रत्ती ही चोखो, झैर मण भी के काम को।
घड़ै कुम्हार, भरै संसार।
घर तो नागर बेल पड़ी, पाड़ोसण को खोसै फूस।
उतारदी लोई, के करैगो कोई।
घणा तीन-पांच आछी कोन्या।
उतर भैंसा मेरी बारी।
उघाड़ै वारणै धाड़ नहीं, उजाड़ गांव में राड़ नहीं।
ऊँट कै मूं जीरै सैं के हुवै?
आँख कान को च्यार आंगळ को फरक है
खांड गळी का सै सिरी, रोग गळी का कोई नहीं।
आं तिला में तेल कोनी।
गंया गयां गंगादास, जमना गयां जमनादास।
जठे पड़ै मूसळ, उठे ही खेम कूसळ।
अठे गुड़ गीलो कोनी अथवा इसो गुड़ गीलो कोनी।
उठे का मुरदा उठे बळैगा, अठे का अठे।
जठे देखै तवा परात, उठे नाचै सारी रात।
अगस्त ऊगा, मेह पूगा।
ऊँखळी में सिर दे जिको घमकां सैं के डरै।
छोरो बगल में, ढूंढै जंगल में।
चुस्सी को सिकार और ग्यारा तोप।
अक्कल बिना ऊँट उभाणा फिरै।
खारी बेल की खारी तूमड़ी।
कपड़ा फाट गरीबी आई, जूती टूटी चाल गमाई।
आंधा नै तो लाठी चाये
एक ई बेल का तूमड़ा है।
इसो ई हरि गुण गायो, इसो ई संख बजायो।
गधा नै घी कुण दे?
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