समै पर कवितावां

समय अनुभव का सातत्य

है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता153

काळ

मणि मधुकर

ओळूं

आईदान सिंह भाटी

बीज नै उगणो पड़सी

भीम पांडिया

काळ

किशन ‘प्रणय’

घट्टी

मुकुट मणिराज

रंग विहूणौ

महेंद्रसिंह छायण

समै रो संताप

नीतू शर्मा

घर अर फळसौ

आईदान सिंह भाटी

काळ

कन्हैयालाल सेठिया

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

बूढ़ी डोकरी

पवन सिहाग 'अनाम'

संबंधा रा डोरा

अनुश्री राठौड़

बात कोनी

उषा राजश्री राठौड़

दुपारौ

भंवर भादानी

खुली आंख रा सुपना

नरेंद्र व्यास

घड़ी ना कांटा

नरेन्द्रपाल जैन

आंख्यां

इरशाद अज़ीज़

मांनी जता मिनख

चंद्रशेखर अरोड़ा

बगतसर चालां घरै

सुरेन्द्र सुन्दरम

मा निषाद

रचना शेखावत

बै सागी बातां

संदीप 'निर्भय'

दुखड़ा री घडयाँ

शकुंतला अग्रवाल 'शकुन'

बात

कमर मेवाड़ी

समै री डोर

इन्द्र प्रकाश श्रीमाली

चौपड़-पासा

मणि मधुकर

मत देख, फाट्योड़ी पगरखी

चंद्रशेखर अरोड़ा

चेत मानखा चेत

मोहम्मद सदीक

ओ टूकड़ौ

रामस्वरूप किसान

बगत री बात

दीपचन्द सुथार

जात निसरगी

किशोर कल्पनाकान्त

कळजुग नो ज़मारो आव्यौ

राम पंचाल भारतीय

आभै रै उण पार

शंकरसिंह राजपुरोहित

नरकवाड़ौ

मणि मधुकर

अघोरी काळ

कन्हैयालाल सेठिया

अड़ अर बगत सूं लड़

मनोज पुरोहित 'अनंत'

जुग रो हेलो

कल्याणसिंह राजावत

बगत

देवकरण जोशी 'दीपक'

आसरो

प्रभुदयाल मोठसरा

तौले जूण

संदीप 'निर्भय'

इतिहास-पख

पारस अरोड़ा

कद मिलसी आजादी

शंकर दान चारण

गंदी हवा

चंद्रशेखर अरोड़ा

उठ बटाऊ

नमामीशंकर आचार्य

काळ

गोरधन सिंह शेखावत

घर

संजू श्रीमाली