समै पर कवितावां

समय अनुभव का सातत्य

है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता181

ओळूं

आईदान सिंह भाटी

आ बैठ बात करां - 1

रामस्वरूप किसान

काळ

मणि मधुकर

समै रो संताप

नीतू शर्मा

घर अर फळसौ

आईदान सिंह भाटी

बूढ़ी डोकरी

पवन सिहाग 'अनाम'

बात कोनी

उषा राजश्री राठौड़

काळ

कन्हैयालाल सेठिया

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

संबंधा रा डोरा

अनुश्री राठौड़

रंग विहूणौ

महेंद्रसिंह छायण

घट्टी

मुकुट मणिराज

बीज नै उगणो पड़सी

भीम पांडिया

काळ

किशन ‘प्रणय’

चौपड़-पासा

मणि मधुकर

मत देख, फाट्योड़ी पगरखी

चंद्रशेखर अरोड़ा

सज रैया है कैक्टस

किशोर कुमार निर्वाण

बगत

कन्हैयालाल सेठिया

काळौ घोड़ो

मणि मधुकर

ओ मानखो बीत्यो जावै

मुखराम माकड़ ‘माहिर’

बगत

हरि शंकर आचार्य

पाणी रौ मोल

नाथूसिंह इंदा

कियां भागतो काळ

राजेश कुमार व्यास

वगत अणमोल

रोशन बाफना

बगत

कुमार अजय

दिन अर रात

राजदीप सिंह इन्दा

बखत रो मर्सियो

सत्यनारायण व्यास

संभल जा

नगेन्द्र नारायण किराडू

काळ

चंद्रशेखर अरोड़ा

समै रो फेर

उगमसिंह राजपुरोहित 'दिलीप'

समै रो फेर

दीपचन्द सुथार

गढ़ बोल्यो

गोरधन सिंह शेखावत

मा खातर कविता

नीरज दइया

बगत

सुधीर राखेचा

लै संभाळ थारौ कविकरम

शिवराज छंगाणी

उदबोध

मधुकर बनकोड़ा

संबंध

हुसैनी वोहरा

आज रो मिनख

शान्ति शर्मा

जौतराईग्या गुदा

ज्योतिपुंज

भूलग्या

श्रीनिवास तिवाड़ी

त्याग

सत्यप्रकाश जोशी

कागद

दुष्यन्त जोशी

आजकाल

सत्यनारायण सोनी

सावण

शिवदान सिंह जोलावास