समै पर कवितावां

समय अनुभव का सातत्य

है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता200

ओळूं

आईदान सिंह भाटी

समै रो संताप

नीतू शर्मा

काळ

मणि मधुकर

आ बैठ बात करां - 1

रामस्वरूप किसान

बात कोनी

उषा राजश्री राठौड़

रंग विहूणौ

महेंद्रसिंह छायण

बीज नै उगणो पड़सी

भीम पांडिया

काळ

किशन ‘प्रणय’

बूढ़ी डोकरी

पवन सिहाग 'अनाम'

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

काळ

कन्हैयालाल सेठिया

संबंधा रा डोरा

अनुश्री राठौड़

बगत

कन्हैयालाल सेठिया

घट्टी

मुकुट मणिराज

घर अर फळसौ

आईदान सिंह भाटी

बाई

विनोद स्वामी

चेत मानखा चेत

मोहम्मद सदीक

ओ टूकड़ौ

रामस्वरूप किसान

मिनख रौ पगफेरौ

नंद भारद्वाज

बगत री बात

दीपचन्द सुथार

जात निसरगी

किशोर कल्पनाकान्त

कळजुग नो ज़मारो आव्यौ

राम पंचाल भारतीय

कवि अर आगीवाण

तेजसिंह जोधा

आभै रै उण पार

शंकरसिंह राजपुरोहित

इतिहास-पख

पारस अरोड़ा

धुंवाड़ौ

उपेन्द्र अणु

कद मिलसी आजादी

शंकर दान चारण

गंदी हवा

चंद्रशेखर अरोड़ा

उठ बटाऊ

नमामीशंकर आचार्य

अंगूठो

नीरज दइया

म्हैं नीं

तेजसिंह जोधा

काळ

गोरधन सिंह शेखावत

सुख सागर री लकड़ी

मालचंद तिवाड़ी

घर

संजू श्रीमाली

अगवाणी

सत्यप्रकाश जोशी

उल्थो

सत्येंद्र चारण

काल थे खुद

सांवर दइया

टेम

जितेन्द्र निर्मोही

जात्रा

अर्जुन अरविन्द

वगत ई वगतबायरौ है

नवनीत पाण्डे

दरसाव

संजय कुमार नाहटा 'संजू'

दुपारौ

भंवर भादानी

मादेव

शैलेन्द्र उपाध्याय

घुड़दौड़

गोरधन सिंह शेखावत