समै पर कवितावां

समय अनुभव का सातत्य

है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता163

ओळूं

आईदान सिंह भाटी

काळ

मणि मधुकर

समै रो संताप

नीतू शर्मा

बात कोनी

उषा राजश्री राठौड़

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

बूढ़ी डोकरी

पवन सिहाग 'अनाम'

संबंधा रा डोरा

अनुश्री राठौड़

काळ

कन्हैयालाल सेठिया

घर अर फळसौ

आईदान सिंह भाटी

घट्टी

मुकुट मणिराज

काळ

किशन ‘प्रणय’

रंग विहूणौ

महेंद्रसिंह छायण

बीज नै उगणो पड़सी

भीम पांडिया

मांय तौ नागा ई

सांवर दइया

दिन

मोहन आलोक

डूंज-बायरा

भगवती लाल व्यास

गत-पत

मणि मधुकर

घणो व्हैग्यो है भाईड़ा

विनोद सोमानी 'हंस'

मारग

चन्द्र प्रकाश देवल

इकडंकी मारग

चन्द्र प्रकाश देवल

काळ सूं सवाल

गोरधन सिंह शेखावत

मनवार

हरीश बी. शर्मा

रोग

विनोद सोमानी 'हंस'

पिंड पाळै मन

ओम पुरोहित ‘कागद’

टैम निकल जावै ला

बाबूलाल संखलेचा

आग नफरत री बुझाओ

गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

ओ कुण

मोहम्मद सदीक

बिरवा इयै बगत रा

नवनीत पाण्डे

समै रौ रींछ

नारायण सिंह भाटी

बगत री नदी

इरशाद अज़ीज़

कदमताळ

गोरधन सिंह शेखावत

औ जमारौ

सुधीर राखेचा

ओळ्यूं

भारती पुरोहित

अजै जूझणो पड़सी

मोहम्मद सदीक

थोथा घर

चंद्रशेखर अरोड़ा

व कुण है

चंद्रशेखर अरोड़ा

उदबोध

मधुकर बनकोड़ा

संबंध

हुसैनी वोहरा

आज रो मिनख

शान्ति शर्मा

जौतराईग्या गुदा

ज्योतिपुंज

भूलग्या

श्रीनिवास तिवाड़ी