समै पर कवितावां

समय अनुभव का सातत्य

है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता135

काळ

मणि मधुकर

रंग विहूणौ

महेंद्रसिंह छायण

काळ

किशन ‘प्रणय’

घट्टी

मुकुट मणिराज

संबंधा रा डोरा

अनुश्री राठौड़

बूढ़ी डोकरी

पवन सिहाग 'अनाम'

बात कोनी

उषा राजश्री राठौड़

मांनी जता मिनख

चंद्रशेखर अरोड़ा

बगतसर चालां घरै

सुरेन्द्र सुन्दरम

मा निषाद

रचना शेखावत

बै सागी बातां

संदीप 'निर्भय'

दुखड़ा री घडयाँ

शकुंतला अग्रवाल 'शकुन'

बात

कमर मेवाड़ी

चौपड़-पासा

मणि मधुकर

मत देख, फाट्योड़ी पगरखी

चंद्रशेखर अरोड़ा

चेत मानखा चेत

मोहम्मद सदीक

ओ टूकड़ौ

रामस्वरूप किसान

बगत री बात

दीपचन्द सुथार

कळजुग नो ज़मारो आव्यौ

राम पंचाल भारतीय

आभै रै उण पार

शंकरसिंह राजपुरोहित

नरकवाड़ौ

मणि मधुकर

अघोरी काळ

कन्हैयालाल सेठिया

अड़ अर बगत सूं लड़

मनोज पुरोहित 'अनंत'

जुग रो हेलो

कल्याणसिंह राजावत

बगत

देवकरण जोशी 'दीपक'

आसरो

प्रभुदयाल मोठसरा

तौले जूण

संदीप 'निर्भय'

खुली आंख रा सुपना

नरेंद्र व्यास

घड़ी ना कांटा

नरेन्द्रपाल जैन

आंख्यां

इरशाद अज़ीज़

बदळग्यो बगत

गौरीशंकर प्रजापत

रिवाज री बुगची

सुमन पड़िहार

जात्रा

अर्जुन अरविन्द

वगत ई वगतबायरौ है

नवनीत पाण्डे

दरसाव

संजय कुमार नाहटा 'संजू'

समै रो संताप

नीतू शर्मा

दुपारौ

भंवर भादानी

इतिहास-पख

पारस अरोड़ा

कद मिलसी आजादी

शंकर दान चारण

गंदी हवा

चंद्रशेखर अरोड़ा

उठ बटाऊ

नमामीशंकर आचार्य

काळ

गोरधन सिंह शेखावत

अगवाणी

सत्यप्रकाश जोशी

टेम

जितेन्द्र निर्मोही

अखबार

सुनील कुमार

लहर

देवेश पथ सारिया