समै पर कवितावां

समय अनुभव का सातत्य

है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता152

उदबोध

मधुकर बनकोड़ा

संबंध

हुसैनी वोहरा

आज रो मिनख

शान्ति शर्मा

जौतराईग्या गुदा

ज्योतिपुंज

भूलग्या

श्रीनिवास तिवाड़ी

त्याग

सत्यप्रकाश जोशी

कागद

दुष्यन्त जोशी

आजकाल

सत्यनारायण सोनी

सावण

शिवदान सिंह जोलावास

ओळख

सत्यप्रकाश जोशी

बे बातां

श्रीनिवास तिवाड़ी

बरस-जातरा

पारस अरोड़ा

छाजळौ

मुकुट मणिराज

बदळाव

कुमार अजय

उडीक बगत र आगीवांण री

चंद्रशेखर अरोड़ा

वखत

गोरधन सिंह शेखावत

बूढ़ी डोकरी

पवन सिहाग 'अनाम'

बगत

हरि शंकर आचार्य

पाणी रौ मोल

नाथूसिंह इंदा

कियां भागतो काळ

राजेश कुमार व्यास

वगत अणमोल

रोशन बाफना

बगत

कुमार अजय

दिन अर रात

राजदीप सिंह इन्दा

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

बखत रो मर्सियो

सत्यनारायण व्यास

संभल जा

नगेन्द्र नारायण किराडू

काळ

चंद्रशेखर अरोड़ा

समै रो फेर

उगमसिंह राजपुरोहित 'दिलीप'

समै रो फेर

दीपचन्द सुथार

गढ़ बोल्यो

गोरधन सिंह शेखावत

बगत

सुधीर राखेचा

लै संभाळ थारौ कविकरम

शिवराज छंगाणी

काळ

कन्हैयालाल सेठिया

दिन

मोहन आलोक

डूंज-बायरा

भगवती लाल व्यास

गत-पत

मणि मधुकर

घणो व्हैग्यो है भाईड़ा

विनोद सोमानी 'हंस'

मारग

चन्द्र प्रकाश देवल

इकडंकी मारग

चन्द्र प्रकाश देवल

काळ सूं सवाल

गोरधन सिंह शेखावत

मनवार

हरीश बी. शर्मा

रोग

विनोद सोमानी 'हंस'

पिंड पाळै मन

ओम पुरोहित ‘कागद’