समै पर कवितावां

समय अनुभव का सातत्य

है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता233

ओळूं

आईदान सिंह भाटी

समै रो संताप

नीतू शर्मा

आ बैठ बात करां - 1

रामस्वरूप किसान

काळ

मणि मधुकर

संबंधा रा डोरा

अनुश्री राठौड़

बगत

कन्हैयालाल सेठिया

बात कोनी

उषा राजश्री राठौड़

बीज नै उगणो पड़सी

भीम पांडिया

काळ

किशन ‘प्रणय’

घट्टी

मुकुट मणिराज

रंग विहूणौ

महेंद्रसिंह छायण

घर अर फळसौ

आईदान सिंह भाटी

बूढ़ी डोकरी

पवन सिहाग 'अनाम'

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

काळ

कन्हैयालाल सेठिया

थाकैलौ

फ़ेंटन जॉनसन

आपरी चूंच

यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'

इतिहास-पख

पारस अरोड़ा

धुंवाड़ौ

उपेन्द्र अणु

रोई रा रूंख

रामस्वरूप ‘परेश’

कद मिलसी आजादी

शंकर दान चारण

गंदी हवा

चंद्रशेखर अरोड़ा

एक अंत बिहूण जातरा

रामस्वरूप ‘परेश’

उठ बटाऊ

नमामीशंकर आचार्य

अंगूठो

नीरज दइया

भेडां

श्याम महर्षि

जात्रा

अर्जुन अरविन्द

वगत ई वगतबायरौ है

नवनीत पाण्डे

बुण रह्यी हूं अेक सरीर

गैब्रिएला मिस्ट्राल

दरसाव

संजय कुमार नाहटा 'संजू'

दुपारौ

भंवर भादानी

मादेव

शैलेन्द्र उपाध्याय

घुड़दौड़

गोरधन सिंह शेखावत

छिण जको म्हारो

गोरधन सिंह शेखावत

थारो आणो

सतीश छिम्पा

वगत घड़िया उणियारा

सत्यदेव संवितेन्द्र

आळो

गौरीशंकर निमिवाळ

बगत री बात

ज़ेबा रशीद

चेतौ

गोरधन सिंह शेखावत

बैकवर्ड फॉरवर्ड

सतीश छिम्पा

बगत रो सागो

नमामीशंकर आचार्य

व्लादिमिर इलिच लेनिन

व्लादिमीर मायकोव्स्की

बगत रौ हेलो

अर्जुनसिंह शेखावत

आज री नारी

रमेश मयंक

कविता खोलै किंवाड़

राजेश कुमार व्यास

सुळ सुळियो

मोहम्मद सदीक