समै पर कवितावां

समय अनुभव का सातत्य

है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता215

ओळूं

आईदान सिंह भाटी

समै रो संताप

नीतू शर्मा

काळ

मणि मधुकर

आ बैठ बात करां - 1

रामस्वरूप किसान

बात कोनी

उषा राजश्री राठौड़

बगत

कन्हैयालाल सेठिया

बीज नै उगणो पड़सी

भीम पांडिया

रंग विहूणौ

महेंद्रसिंह छायण

बूढ़ी डोकरी

पवन सिहाग 'अनाम'

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

काळ

कन्हैयालाल सेठिया

संबंधा रा डोरा

अनुश्री राठौड़

काळ

किशन ‘प्रणय’

घट्टी

मुकुट मणिराज

घर अर फळसौ

आईदान सिंह भाटी

खुली आंख रा सुपना

नरेंद्र व्यास

घड़ी ना कांटा

नरेन्द्रपाल जैन

आंख्यां

इरशाद अज़ीज़

सज रैया है कैक्टस

किशोर कुमार निर्वाण

थाकैलौ

फ़ेंटन जॉनसन

इतिहास-पख

पारस अरोड़ा

धुंवाड़ौ

उपेन्द्र अणु

कद मिलसी आजादी

शंकर दान चारण

गंदी हवा

चंद्रशेखर अरोड़ा

उठ बटाऊ

नमामीशंकर आचार्य

अंगूठो

नीरज दइया

म्हैं नीं

तेजसिंह जोधा

काळ

गोरधन सिंह शेखावत

सुख सागर री लकड़ी

मालचंद तिवाड़ी

भायलै नै कागद

अल्फ्रेड प्रागनेल

घर

संजू श्रीमाली

अगवाणी

सत्यप्रकाश जोशी

उल्थो

सत्येंद्र चारण

काल थे खुद

सांवर दइया

टेम

जितेन्द्र निर्मोही

जात्रा

अर्जुन अरविन्द

वगत ई वगतबायरौ है

नवनीत पाण्डे

दरसाव

संजय कुमार नाहटा 'संजू'

काळौ घोड़ो

मणि मधुकर

ओ मानखो बीत्यो जावै

मुखराम माकड़ ‘माहिर’

गुप्तचर

शक्ति चट्टोपाध्याय

उगायो भोर रो तारो

भीम पांडिया

सदी रौ सांच

महेंद्रसिंह छायण

हूण

अलेक्जांदर ब्लोक

अखबार

सुनील कुमार