समै पर कवितावां

समय अनुभव का सातत्य

है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता199

आ बैठ बात करां - 1

रामस्वरूप किसान

समै रो संताप

नीतू शर्मा

काळ

मणि मधुकर

ओळूं

आईदान सिंह भाटी

घट्टी

मुकुट मणिराज

घर अर फळसौ

आईदान सिंह भाटी

रंग विहूणौ

महेंद्रसिंह छायण

बीज नै उगणो पड़सी

भीम पांडिया

बात कोनी

उषा राजश्री राठौड़

काळ

किशन ‘प्रणय’

संबंधा रा डोरा

अनुश्री राठौड़

बूढ़ी डोकरी

पवन सिहाग 'अनाम'

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

काळ

कन्हैयालाल सेठिया

अघोरी काळ

कन्हैयालाल सेठिया

अड़ अर बगत सूं लड़

मनोज पुरोहित 'अनंत'

जुग रो हेलो

कल्याणसिंह राजावत

बगत

देवकरण जोशी 'दीपक'

आसरो

प्रभुदयाल मोठसरा

तौले जूण

संदीप 'निर्भय'

स्यात

सुरेश जोशी

मांनी जता मिनख

चंद्रशेखर अरोड़ा

बगतसर चालां घरै

सुरेन्द्र सुन्दरम

मा निषाद

रचना शेखावत

जात्रा

प्रसन्न कुमार मिश्र

बै सागी बातां

संदीप 'निर्भय'

दुखड़ा री घडयाँ

शकुंतला अग्रवाल 'शकुन'

अंधार-पख

नंद भारद्वाज

बात

कमर मेवाड़ी

समै री डोर

इन्द्र प्रकाश श्रीमाली

नदी

इरशाद अज़ीज़

चौपड़-पासा

मणि मधुकर

मत देख, फाट्योड़ी पगरखी

चंद्रशेखर अरोड़ा

बाई

विनोद स्वामी

चेत मानखा चेत

मोहम्मद सदीक

ओ टूकड़ौ

रामस्वरूप किसान

मिनख रौ पगफेरौ

नंद भारद्वाज

बगत री बात

दीपचन्द सुथार

जात निसरगी

किशोर कल्पनाकान्त

कळजुग नो ज़मारो आव्यौ

राम पंचाल भारतीय

कवि अर आगीवाण

तेजसिंह जोधा

आभै रै उण पार

शंकरसिंह राजपुरोहित

नरकवाड़ौ

मणि मधुकर

आंधौजुग

शंभुदान मेहडू

पतियारो

नवनीत पाण्डे