समै पर दूहा

समय अनुभव का सातत्य

है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

दूहा5

चैत

रेवतदान चारण कल्पित

बीकम बरसां बीतियों

सूर्यमल्ल मीसण

काळ रा दूहा

रेवतदान चारण कल्पित

समै पल्लटै सूरमा

शंकर दान चारण