जूनौ कोस
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विश्नोई सम्प्रदाय पर चौपाई
चौपाई
पद
दूहा
छप्पय
संवैया छंद
कुण्डळियौ छंद
कवित्त
गीत
काव्य खंड
डिंगल गीत
चौपाई
21
सब जन के सनमुख हि विराजै
साहबराम राहड़
अपनी इंछ् या डोलै नारी
साहबराम राहड़
छोटी देही बहुत अहारा
साहबराम राहड़
गणपत चवदे विद्या निदाना
ऊदोजी अड़ींग
आसण पदमल गाय विराजै
साहबराम राहड़
आत्म ब्रिह्मा ऐक होय जाई
साहबराम राहड़
जनक वेदह देह सुद त्यागी
ऊदोजी अड़ींग
विस्नु तीरथ सारदा लिखै
ऊदोजी अड़ींग
खींचत चीरहि नार पुकारी
साहबराम राहड़
नारद तुमर वीन बजावै
ऊदोजी अड़ींग
कब से भये असे तम ज्ञानी
ऊदोजी अड़ींग
नारद मुनि से पाए ज्ञाना
ऊदोजी अड़ींग
रज तम गुन दोऊं अधिकांही
साहबराम राहड़
गुर का कह्यो बचन नहिं मानै
साहबराम राहड़
धर्म अर्थ कांमहि सबै जग
साहबराम राहड़
फिर चौको देयर करो रसोई
साहबराम राहड़
पीतंबर तन अध कवि राजै
साहबराम राहड़
निंद्रा अति आलस अधिकाई
साहबराम राहड़
मन बुधि इन्द्रिय सबनि विचारै
साहबराम राहड़
बालमीक हरि के गुन गाये
ऊदोजी अड़ींग
चोरी माया साहस करैं
साहबराम राहड़