धर्म पर कवितावां

धारयति इति धर्म:—यानी

जिसने सब कुछ धारण कर रखा है, वह धर्म है। इन धारण की जाती चीज़ों में सत्य, धृति, क्षमा, अस्तेय, शुचिता, धी, इंद्रिय निग्रह जैसे सभी लक्षण सन्निहित हैं। धर्म का प्रचलित अर्थ ‘रिलीज़न’ या मज़हब भी है। प्रस्तुत चयन में धर्म के अवलंब पर अभिव्यक्त रचनाओं का संकलन किया गया है।

कविता21

पी'र सासरौ

विमला महरिया 'मौज'

बगत

गोपाल जैन

सिध-जोगी

मणि मधुकर

गंदी हवा

चंद्रशेखर अरोड़ा

अगवाणी

सत्यप्रकाश जोशी

ऐवुस थ्यु वैगा

भविष्यदत्त ‘भविष्य’

नुंवौ साल

मईनुदीन कोहरी 'नाचीज'

भींत

विनोद स्वामी

भींत

उम्मेद गोठवाल

गुवाड़ी रो धरम

मदन गोपाल लढ़ा

धरम जको अबार है

चेतन स्वामी

ओट

विनोद स्वामी

इंटरनेट अर धर्म

राजदीप सिंह इन्दा

गांव : मातम रै माहौल में

चंद्रशेखर अरोड़ा

मोटियार

भंवर भादानी

छेहला बोल

चन्द्र प्रकाश देवल

टूटोड़ी भींत बता...

चंद्रशेखर अरोड़ा

हमजी सको आ वात

घनश्याम प्यासा

थूं कैयो

नंदकिशोर सोमानी ‘स्नेह'

अभरोसौ

रेवतदान चारण कल्पित

चिराळी री गूंज

चन्द्र प्रकाश देवल