विडरूपता पर कवितावां

सामाजिक जीवण में आपां

रै असवाड़ै-पसवाड़ै अेड़ी केई विसमतावां हुवै जिणा सूं मिनख रौ जीवणौ, न जीवणै जेड़ौ हो ज्यावै। अठै संकलित रचनावां ई विसै सूं ई जुड़ियोड़ी है।

कविता160

काळ

मणि मधुकर

जे म्हैं आदमी होऊँ

विमला महरिया 'मौज'

सातवौं फेरौ

अर्जुन देव चारण

इण तरै रा सून्याड़ में

भगवती लाल व्यास

भूतणीं

विमला महरिया 'मौज'

बंटवारो

भगवती लाल व्यास

आत्महंता

त्रिभुवन

घर कठै है

अर्जुन देव चारण

थूं कद जीवती ही मां

अर्जुन देव चारण

म्हूँ जनता हूँ

भगवती लाल व्यास

मजूर रौ दिन

अर्जुन देव चारण

तूफांन

रेवतदान चारण कल्पित

सफदर हासमी री मौत

गोरधन सिंह शेखावत

अे दिवलै री जोत

किशोर कल्पनाकान्त

सुवाद

मणि मधुकर

मसाणा में लाडली

विमला महरिया 'मौज'

काळ/ अकाळ/ महाकाळ

रेवतदान चारण कल्पित

चेतौ

गोरधन सिंह शेखावत

वो भेजै थनै

अर्जुन देव चारण

उडीक

पारस अरोड़ा

गांव

गोरधन सिंह शेखावत

घाव-सुख

पारस अरोड़ा

भविस

मणि मधुकर

पूरण होवण री आस

अर्जुन देव चारण

गूंग रो घून्ट

मोहम्मद सदीक

सीता

अर्जुन देव चारण

काळ अर भूख

भगवती लाल व्यास

कूख-पड़्र्यै री पीड़

किशोर कल्पनाकान्त

सांप

त्रिभुवन

फाटोड़ी जेब

पारस अरोड़ा

आं दिनां में

गोरधन सिंह शेखावत

निमित्त

सत्येन जोशी

तीजी रेख

अर्जुन देव चारण

अम्बा

अर्जुन देव चारण

थारी हूंस रा मारग

अर्जुन देव चारण

अजै जूझणो पड़सी

मोहम्मद सदीक

मारग रै सीगै

चन्द्र प्रकाश देवल

थारी गाथा

अर्जुन देव चारण

सवाग

सत्यप्रकाश जोशी

टूटोड़ी भींत बता...

चंद्रशेखर अरोड़ा

काळ

भगवान सैनी

ज़िन्दगी

भगवती लाल व्यास