विडरूपता पर कवितावां

सामाजिक जीवण में आपां

रै असवाड़ै-पसवाड़ै अेड़ी केई विसमतावां हुवै जिणा सूं मिनख रौ जीवणौ, न जीवणै जेड़ौ हो ज्यावै। अठै संकलित रचनावां ई विसै सूं ई जुड़ियोड़ी है।

कविता201

काळ

मणि मधुकर

जे म्हैं आदमी होऊँ

विमला महरिया 'मौज'

सातवौं फेरौ

अर्जुनदेव चारण

इण तरै रा सून्याड़ में

भगवती लाल व्यास

भूतणीं

विमला महरिया 'मौज'

घर कठै है

अर्जुनदेव चारण

बंटवारो

भगवती लाल व्यास

आत्महंता

त्रिभुवन

फाटोड़ी जेब

पारस अरोड़ा

थूं कद जीवती ही मां

अर्जुनदेव चारण

म्हूँ जनता हूँ

भगवती लाल व्यास

मजूर रौ दिन

अर्जुनदेव चारण

अेकली

मणि मधुकर

अंतस रौ उणियारौ

नंद भारद्वाज

वन-महोच्छब

भगवती लाल व्यास

आं दिनां में

गोरधन सिंह शेखावत

निमित्त

सत्येन जोशी

तीजी रेख

अर्जुनदेव चारण

मसाणा में लाडली

विमला महरिया 'मौज'

काळ/ अकाळ/ महाकाळ

रेवतदान चारण कल्पित

चेतौ

गोरधन सिंह शेखावत

क्रिस्णाकुमारी

अर्जुनदेव चारण

रातिंदो

गोरधन सिंह शेखावत

अछूत

प्रेमजी ‘प्रेम’

व्लादिमिर इलिच लेनिन

व्लादिमीर मायकोव्स्की

आज री नारी

रमेश मयंक

पनजी मारू

गोरधन सिंह शेखावत

वो भेजै थनै

अर्जुनदेव चारण

उडीक

पारस अरोड़ा

दुरसंका

रफ़ाइल अलबर्ती

गांव

गोरधन सिंह शेखावत

घाव-सुख

पारस अरोड़ा

भविस

मणि मधुकर

पूरण होवण री आस

अर्जुनदेव चारण

गूंग रो घून्ट

मोहम्मद सदीक

सीता

अर्जुनदेव चारण

काळ अर भूख

भगवती लाल व्यास

हुवै रंग हजार

सांवर दइया

कूख-पड़्र्यै री पीड़

किशोर कल्पनाकान्त

सांप

त्रिभुवन

पिक्चर पोस्टरकार्ड

मिक्लोश राद्नोती

तूफांन

रेवतदान चारण कल्पित