विडरूपता पर कवितावां

सामाजिक जीवण में आपां

रै असवाड़ै-पसवाड़ै अेड़ी केई विसमतावां हुवै जिणा सूं मिनख रौ जीवणौ, न जीवणै जेड़ौ हो ज्यावै। अठै संकलित रचनावां ई विसै सूं ई जुड़ियोड़ी है।

कविता132

काळ

मणि मधुकर

मजूर रौ दिन

अर्जुन देव चारण

भूतणीं

विमला महरिया 'मौज'

जे म्हैं आदमी होऊँ

विमला महरिया 'मौज'

सातवौं फेरौ

अर्जुन देव चारण

घर कठै है

अर्जुन देव चारण

आत्महंता

त्रिभुवन

थूं कद जीवती ही मां

अर्जुन देव चारण

आग री ओळख

पारस अरोड़ा

चौपड़-पासा

मणि मधुकर

थारी काया

अर्जुन देव चारण

सुखसाज

मणि मधुकर

पद्मणी

अर्जुन देव चारण

पांगळी

मणि मधुकर

आंमनौ

रेवतदान चारण कल्पित

सरनामू

भोगीलाल पाटीदार

इतिहास-पख

पारस अरोड़ा

नित-नेम

हरीश भादानी

जोग

मणि मधुकर

पाड़ोसण

मणि मधुकर

सुपनो क साच

प्रकाशदान चारण

डूंगरी न्हें बौली

भोगीलाल पाटीदार

फूलम-कथा

मणि मधुकर

सिध-जोगी

मणि मधुकर

बोवणी

पारस अरोड़ा

आंकड़ा का फूल

प्रेमजी ‘प्रेम’

म्हैं

मोहन आलोक

साख राणी उमादे री

सत्यप्रकाश जोशी

ओ काळधिराणी कंकाळी

किशोर कल्पनाकान्त

कुणस

प्रेमजी ‘प्रेम’

भूख मरगी

पारस अरोड़ा

परमेसर

प्रेमजी ‘प्रेम’

लाचारी

मणि मधुकर

लक्खण

प्रेमजी ‘प्रेम’

गुवाड़ रो जायो

मोहम्मद सदीक

सपना

अर्जुन देव चारण

हिसाब

पारस अरोड़ा

नरकवाड़ौ

मणि मधुकर

हूंणी

मणि मधुकर

अेलांन

मणि मधुकर

सती

अर्जुन देव चारण

जद तूटै अंबर सूं तारौ

रेवतदान चारण कल्पित

बगावत

रेवतदान चारण कल्पित

कठै सूं ऊपजै आ आग

हरीश भादानी