विडरूपता पर कवितावां

सामाजिक जीवण में आपां

रै असवाड़ै-पसवाड़ै अेड़ी केई विसमतावां हुवै जिणा सूं मिनख रौ जीवणौ, न जीवणै जेड़ौ हो ज्यावै। अठै संकलित रचनावां ई विसै सूं ई जुड़ियोड़ी है।

कविता214

काळ

मणि मधुकर

फाटोड़ी जेब

पारस अरोड़ा

नंग धड़ंग अरावळी

कन्हैयालाल सेठिया

आत्महंता

त्रिभुवन

थूं कद जीवती ही मां

अर्जुनदेव चारण

जे म्हैं आदमी होऊँ

विमला महरिया 'मौज'

सातवौं फेरौ

अर्जुनदेव चारण

भूतणीं

विमला महरिया 'मौज'

घर कठै है

अर्जुनदेव चारण

बंटवारो

भगवती लाल व्यास

इण तरै रा सून्याड़ में

भगवती लाल व्यास

म्हूँ जनता हूँ

भगवती लाल व्यास

मजूर रौ दिन

अर्जुनदेव चारण

घर

नीरज दइया

काल थे खुद

सांवर दइया

अलीसन कोसे री मोत माथै

येवेजनी येव्तुसेंको

म्हैं

मोहन आलोक

साख राणी उमादे री

सत्यप्रकाश जोशी

ओ काळधिराणी कंकाळी

किशोर कल्पनाकान्त

कुणस

प्रेमजी ‘प्रेम’

भूख मरगी

पारस अरोड़ा

अद्भुत छिण

गोरधन सिंह शेखावत

परमेसर

प्रेमजी ‘प्रेम’

कीड़ी चुगो

भगवती लाल व्यास

अेकली

मणि मधुकर

आँच ही आँच

मोहम्मद सदीक

मौसम री मार

पारस अरोड़ा

दिनूगै री गाड्यां

बरीस पास्तरनाक

सुळ सुळियो

मोहम्मद सदीक

आपां रै नांवै

सत्येन जोशी

जायसी री पीड़

सांवर दइया

साधू

त्रिभुवन

उमादे

अर्जुनदेव चारण

बोलै सरणाटो

हरीश भादानी

हलाल रो मांस

गोरधन सिंह शेखावत

दीवा-सम्मेलण

किशोर कल्पनाकान्त

बारखड़ी

मणि मधुकर

मिनख

गोरधन सिंह शेखावत

ओळाव

सांवर दइया

मसाणा में लाडली

विमला महरिया 'मौज'

काळ/ अकाळ/ महाकाळ

रेवतदान चारण कल्पित

जीवण रौ ढंग

राजेन्द्र बोहरा

वै कुण है?

राजेन्द्र बोहरा

चेतौ

गोरधन सिंह शेखावत