विडरूपता पर सोरठा

सामाजिक जीवण में आपां

रै असवाड़ै-पसवाड़ै अेड़ी केई विसमतावां हुवै जिणा सूं मिनख रौ जीवणौ, न जीवणै जेड़ौ हो ज्यावै। अठै संकलित रचनावां ई विसै सूं ई जुड़ियोड़ी है।

सोरठा8

हूणिया

हरीश भादानी

भली बुरी जो बात

साह मोहनराज

हिम्मत तब ही होय

साह मोहनराज

खरी कमाई खाय

साह मोहनराज

सादिया रा सौरठा

मोहम्मद सदीक