विडरूपता पर गीत

सामाजिक जीवण में आपां

रै असवाड़ै-पसवाड़ै अेड़ी केई विसमतावां हुवै जिणा सूं मिनख रौ जीवणौ, न जीवणै जेड़ौ हो ज्यावै। अठै संकलित रचनावां ई विसै सूं ई जुड़ियोड़ी है।

गीत7

रामल्यो

मुकुट मणिराज

बटोई

किशन लाल वर्मा

तामझामसा

मोहम्मद सदीक

जीवण-रस री धार में

कानदान ‘कल्पित’

अेक बटावू भटकै

किशोर कल्पनाकान्त