विडरूपता पर गीत

सामाजिक जीवण में आपां

रै असवाड़ै-पसवाड़ै अेड़ी केई विसमतावां हुवै जिणा सूं मिनख रौ जीवणौ, न जीवणै जेड़ौ हो ज्यावै। अठै संकलित रचनावां ई विसै सूं ई जुड़ियोड़ी है।

गीत16

बाबा थारी बकरियां

मोहम्मद सदीक

डर सूं डरो

मोहम्मद सदीक

बाड़ खेत नै खावै है

मोहम्मद सदीक

नूवां अरथ

मोहम्मद सदीक

रामल्यो

मुकुट मणिराज

भगवान भलो करसी थारो

किशोर कल्पनाकान्त

बटोई

किशन लाल वर्मा

तामझामसा

मोहम्मद सदीक

कबूतराँ को जोड़ो

रघुराजसिंह हाड़ा

जीवण-रस री धार में

कानदान ‘कल्पित’

अेक बटावू भटकै

किशोर कल्पनाकान्त

नुंवली गीता रो ज्ञान

किशोर कल्पनाकान्त