विडरूपता पर काव्य खंड

सामाजिक जीवण में आपां

रै असवाड़ै-पसवाड़ै अेड़ी केई विसमतावां हुवै जिणा सूं मिनख रौ जीवणौ, न जीवणै जेड़ौ हो ज्यावै। अठै संकलित रचनावां ई विसै सूं ई जुड़ियोड़ी है।

काव्य खंड2

भारत गांधी भानिया

उदयराज उज्ज्वल

भानिया रा दूहा

उदयराज उज्ज्वल