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भगती पर दूहा
भगती विषयक काव्य-रूपों
रौ संकलन।
दूहा
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कथा गीत
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भुजंगप्रयात छंद
छंद बेअक्खरी
सारसी छंद
ग़ज़ल
रास
दूहा
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आश्व दुवार तों छें जीव रा
आचार्य भिक्षु
आश्व तों निश्चेंइ जीव छें
आचार्य भिक्षु
आश्व पदार्थ पांचमों तिणनें
आचार्य भिक्षु
जामण मरण जहाँ नही
संत सुखरामदास
हिवें पाप आवाना बारणा
आचार्य भिक्षु
जीव खोटा खोटा किरतब करें
आचार्य भिक्षु
पाप तो पुदगल द्रव्य छें
आचार्य भिक्षु
गैंणा गांठा तन की सोभा
फूलीबाई
दरिया संगत साध की
संत दरियाव जी
केइ मूढ मिथ्याती जीवड़ा
आचार्य भिक्षु
करि संगति मन साध की
सोढी नाथी
ऊंचो नीछो कहा करे
फूलीबाई
च्यार बरण नर-नार रे
संत सुखरामदास
किरकाँट्या किस काम का
संत दरियाव जी
मन चीटो फिरवो करै
बालकराम
दरिया हंसा ऊजला
संत दरियाव जी
सीप न निपजै सिंधु बिन
परशुराम
कामी कंथ के कारणै
फूलीबाई
सीतां ल्याई भीखड़ी
मेहा गोदारा
माटी सूं ही ऊपज्यो
फूलीबाई
माया जम की लाडिली
सोढी नाथी
रांम खंणावै रांमसर
मेहा गोदारा
दरिया बिरही साध के
संत दरियाव जी
दोहा : धरम अर भगती
जयसिंह आशावत
जम दाणु क्या देवता
संत सुखरामदास
गुरु द्रोही जो आतम
परशुराम
दरिया साचा गुरमुखी
संत दरियाव जी
दरिया दूजा धरम सूँ
संत दरियाव जी
बंद्यौ न छूटै देवता
मेहा गोदारा
फूली सतगुर उपरै
फूलीबाई
जितरो तेज पुवंण अर पांणी
मेहा गोदारा
पाप पदारथ पाडूवों
आचार्य भिक्षु
दरिया बहु बकवाद तज
संत दरियाव जी
पूंछड़ सूत पळेटि कै
मेहा गोदारा
क्या गंगा क्या गोमती
फूलीबाई
सिर जावे तो जाण दो
संत सुखरामदास
ग्यान गरीबी गुरु इसट
संत दरियाव जी
गुन आयो तब जानिये
परशुराम
जब लग स्वांस सरीर में
फूलीबाई
दरिया हीरा कोड़ का
संत दरियाव जी
सोवंन कळस रचावियौ
मेहा गोदारा
परसराम हरि नाम
परशुराम
कै मुवौ कै मारियौ कै
मेहा गोदारा
ते पाप उदें दुख उपजें
आचार्य भिक्षु
क्या इन्द्र क्या राजवी
फूलीबाई
रहनी करनी साध की
संत दरियाव जी
पाप कर्म नें करणी पाप री
आचार्य भिक्षु
नाथ साजन सो मिले
सोढी नाथी
दरिया दाई बाँझड़ी
संत दरियाव जी
संगत बिना तो भाव नही
संत सुखरामदास
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