किरकाँट्या किस काम का, पलट करै बहु रंग।

जनदरिया हंसा भला, जद तद एकै रंग॥

स्रोत
  • पोथी : दरियाव- ग्रंथावली ,
  • सिरजक : संत दरियाव जी ,
  • संपादक : ब्रजेंद्र कुमार सिंहल ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर
जुड़्योड़ा विसै