भगती काव्य पर दूहा

मध्यकाल में भक्ति आन्दोलन

की धारा में राजस्थान की शांत एवं सौम्य जलवायु में इस भू-भाग पर अनेक निर्गुणी एवं सगुणी संत-महात्माओं का आविर्भाव हुआ। इन उदारमना संतों ने ईश्वर भक्ति में एवं जन-सामान्य के कल्याणार्थ विपुल साहित्य की रचना यहाँ की लोक भाषा में की है। संत साहित्य अधिकांशतः पद्यमय ही है।

दूहा61

दरिया संगत साध की

संत दरियाव जी

मेर रवाई मंडिआ

हरदास मीसण

दरिया हंसा ऊजला

संत दरियाव जी

दरिया साचा गुरमुखी

संत दरियाव जी

दरिया दूजा धरम सूँ

संत दरियाव जी

जाकै सेवग रामजी

स्वामी आत्माराम

दरिया बहु बकवाद तज

संत दरियाव जी

रै मन

चतुरसिंह ‘महाराज’

दरिया बिरही साध के

संत दरियाव जी

डाल पात फल फूल में

स्वामी आत्माराम

दरिया हीरा कोड़ का

संत दरियाव जी

विसनु नाम है सूर हम

ऊदोजी अड़ींग

रहनी करनी साध की

संत दरियाव जी

सब कोई चाहे मान कूं

स्वामी आत्माराम

दरिया दाई बाँझड़ी

संत दरियाव जी