भगती काव्य पर काव्य खंड

मध्यकाल में भक्ति आन्दोलन

की धारा में राजस्थान की शांत एवं सौम्य जलवायु में इस भू-भाग पर अनेक निर्गुणी एवं सगुणी संत-महात्माओं का आविर्भाव हुआ। इन उदारमना संतों ने ईश्वर भक्ति में एवं जन-सामान्य के कल्याणार्थ विपुल साहित्य की रचना यहाँ की लोक भाषा में की है। संत साहित्य अधिकांशतः पद्यमय ही है।

काव्य खंड4

मेहाई स्त्रोत

सत्येन्द्र सिंह चारण झोरड़ा

शिव वंदना

सत्येन्द्र सिंह चारण झोरड़ा

परमेसर पुराण

पीरदान लालस

मंगलाचरण

सांयाजी झूला