भगती काव्य पर छप्पय

मध्यकाल में भक्ति आन्दोलन

की धारा में राजस्थान की शांत एवं सौम्य जलवायु में इस भू-भाग पर अनेक निर्गुणी एवं सगुणी संत-महात्माओं का आविर्भाव हुआ। इन उदारमना संतों ने ईश्वर भक्ति में एवं जन-सामान्य के कल्याणार्थ विपुल साहित्य की रचना यहाँ की लोक भाषा में की है। संत साहित्य अधिकांशतः पद्यमय ही है।

छप्पय25

पारथ पण्डव पत्र

अलूनाथ कविया

जे नृप धू डग जाय

गंगाराम बोगसा

सत तज जावै सीत

गंगाराम बोगसा

भरम तणां भूंगड़ा

अलूनाथ कविया

दिसै जंगळां डगळ

अलूनाथ कविया

पांणी पाक पुंणां

अलूनाथ कविया

वैद जोग वैराग

अलूनाथ कविया

एक नगर सु बसै

अलूनाथ कविया

मह वरसै नह मेह

गंगाराम बोगसा

इणि अनेक उध्दरेय

अलूनाथ कविया

परि हरियो सो संग

संत केसोदास

कहां घंट टामंक

अलूनाथ कविया

जिण वासिग नाथियो

अलूनाथ कविया

छप्पय परमेसरजी रो

डूंगरसी रतनू

अवरां तणै उकील

गंगाराम बोगसा

तोय मटै नह तरस

गंगाराम बोगसा

जळनध तजै म्रजाद

गंगाराम बोगसा

तवां पंथ उतराद

गंगाराम बोगसा

बाई खूबड़ बेल

गंगाराम बोगसा

मूकै करुपत मांण

गंगाराम बोगसा