भगती काव्य पर छंदां

मध्यकाल में भक्ति आन्दोलन

की धारा में राजस्थान की शांत एवं सौम्य जलवायु में इस भू-भाग पर अनेक निर्गुणी एवं सगुणी संत-महात्माओं का आविर्भाव हुआ। इन उदारमना संतों ने ईश्वर भक्ति में एवं जन-सामान्य के कल्याणार्थ विपुल साहित्य की रचना यहाँ की लोक भाषा में की है। संत साहित्य अधिकांशतः पद्यमय ही है।

छंद19

रुकमणी रो हरण

सांयाजी झूला

जुद्ध वरणन

सांयाजी झूला

रुक्मणी रो जलम

सांयाजी झूला

रुकमणी री बाल्यावस्था

पृथ्वीराज राठौड़

रुकमणी रै जोबन रो वरणाव

पृथ्वीराज राठौड़

कृष्ण-चरितर-वरणाव

सांयाजी झूला