भगती काव्य पर सोरठा

मध्यकाल में भक्ति आन्दोलन

की धारा में राजस्थान की शांत एवं सौम्य जलवायु में इस भू-भाग पर अनेक निर्गुणी एवं सगुणी संत-महात्माओं का आविर्भाव हुआ। इन उदारमना संतों ने ईश्वर भक्ति में एवं जन-सामान्य के कल्याणार्थ विपुल साहित्य की रचना यहाँ की लोक भाषा में की है। संत साहित्य अधिकांशतः पद्यमय ही है।

सोरठा10

रूठ असी दै रेस

रामनाथ कविया

धव म्हारा रणधीर

रामनाथ कविया

भव तूं जाणै भेव

रामनाथ कविया

रामत चौपड़ राज री

रामनाथ कविया

पति गंध्रप हे पाँच

रामनाथ कविया

अणव्हैती व्है आज

रामनाथ कविया

पंडव जणिया पाँच

रामनाथ कविया

बैध्यो मछ जिण बार

रामनाथ कविया

है तूं बाकी हेक

रामनाथ कविया