भगती काव्य पर गीत

मध्यकाल में भक्ति आन्दोलन

की धारा में राजस्थान की शांत एवं सौम्य जलवायु में इस भू-भाग पर अनेक निर्गुणी एवं सगुणी संत-महात्माओं का आविर्भाव हुआ। इन उदारमना संतों ने ईश्वर भक्ति में एवं जन-सामान्य के कल्याणार्थ विपुल साहित्य की रचना यहाँ की लोक भाषा में की है। संत साहित्य अधिकांशतः पद्यमय ही है।

गीत4

पधारो मात भारती

प्रहलाद सिंह झोरड़ा

ओढ़ चून्दङ

कालूराम प्रजापति 'कमल'