भगती काव्य पर पद

मध्यकाल में भक्ति आन्दोलन

की धारा में राजस्थान की शांत एवं सौम्य जलवायु में इस भू-भाग पर अनेक निर्गुणी एवं सगुणी संत-महात्माओं का आविर्भाव हुआ। इन उदारमना संतों ने ईश्वर भक्ति में एवं जन-सामान्य के कल्याणार्थ विपुल साहित्य की रचना यहाँ की लोक भाषा में की है। संत साहित्य अधिकांशतः पद्यमय ही है।

पद52

साधो ऐसी खेती करिये

संत दरियाव जी

आगम प्रमांण

बाबा रामदेवजी

निजानन्द प्रमांण

बाबा रामदेवजी

काम सीलता क्रोध दह

सुरजनदास पूनिया

साधो एक अचम्भा दीठा

संत दरियाव जी

सत लोक सब से सिरै

साहबराम राहड़

अभय प्रमांण

बाबा रामदेवजी

मुगति प्रमांण

बाबा रामदेवजी