जसोदा राणी लाला कूं पौढावै॥

रतन जड़ित को पलंग ढळावै, ऊपर वस्त्र बिछावै।

जरी बाफता को धरै गींदवो, कुसुम सुगंध लगावै।

ताज झुगलिया खोल धरे है, अजंन दृगन लगावै।

ले गोदी पौढाय स्याम को, ऊपर साल उढावै।

पलंग पास बैठी बड़ भागण, हालरिया हुलरावै।

सो छवि सुक सारद सिव निरखै, ‘समनी’ भाग सरावै।

स्रोत
  • पोथी : साहित्य सुजस भाग-2 ,
  • सिरजक : समान बाई ,
  • संपादक : श्रीमती प्रकाश अमरावत ,
  • प्रकाशक : माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर।
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