सत लोक सब से सिरै, सबनतें परै प्रकाशै।

सत ईश को शीस, कोटि रवि इदक उजासै॥

संतकवि इण पद रै मांय सत लोक रौ बखाण इण भांत कियौ है कि सत लोक सगळा लोकां मांय सिरै है, सगळा लोकां स्यूं घणौ चानणौ इण लोक मांय है। सत लोक ईश्वर रै मसतग बराबर ( अकूट ज्ञान रौ भंडार) है। किरोड सूरज अर चंद्रमा जिसौ चानणौ(प्रकाश) इंण लोक में है।

स्रोत
  • पोथी : जम्भसार ,भाग - 1-2 ,
  • सिरजक : साहबराम राहड़ ,
  • संपादक : स्वामी कृष्णानंद आचार्य ,
  • प्रकाशक : स्वामी आत्मप्रकाश 'जिज्ञासु', श्री जगद्गुरु जंभेश्वर संस्कृत विद्यालय,मुकाम , तहसील - नोखा ,जिला - बीकानेर ,
  • संस्करण : द्वितीय
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