ब्रह्मा बावै अंग लेबा लागो, रुकमण नाहीं आवै।

रुकमण बावै अंग जद आवै, वचन स्याम रो पावै।

जलम जलम रा साहब म्हारा, थे साहब मैं नारी।

सोळा सहस में जाय मिलावो, नित उठ दूंगी गारी।

थे जिन जाणो और बराबर, ऐसी वात थे छांडो।

सोळा सहस नै पगा लगावो, सूंस भगत री काढो।

कयो तुमारो करां पटराणी, कयो तुमारो कीनों।

चंद सूरज दोय तपै बराबर, राज तुमहिं कूं दीनो।

भींवराव कूं कोक बुलावो, हथळेवो रे छुडा़वो।

सवा लाख धेन जद दीनी, हथळेवो रे छुडायो॥

स्रोत
  • पोथी : रुक्मिणी मंगळ ,
  • सिरजक : पदम भगत ,
  • संपादक : सत्यनारायण स्वामी ,
  • प्रकाशक : भुवन वाणी ट्रस्ट, लखनऊ -226020
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