पिया स्याम सुंदर बिनु हारी॥

गोकल ढूँढ़ ब्रिंदावन ढूँढी।

आय मिलौ गिरधारी॥

सावन मास सुखद रुत आई।

बादर भये घनकारी॥

तखतराज खेलन घर आवो।

अब बाग भये हरियारी॥

स्रोत
  • पोथी : तखतराज पदावली ,
  • सिरजक : महाराजा तख्तसिंह ,
  • संपादक : डी.बी क्षीरसागर ,
  • प्रकाशक : महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश, जोधपुर 1992
जुड़्योड़ा विसै