दरिया हीरा कोड़ का, कीमत लखै कोय।

जब मीलेगा जोहरी, तबही पारख होय॥

स्रोत
  • पोथी : दरियाव- ग्रंथावली ,
  • सिरजक : संत दरियाव जी ,
  • संपादक : ब्रजेंद्र कुमार सिंहल ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर
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