भगती पर सबद

भगती विषयक काव्य-रूपों

रौ संकलन।

सबद46

सजन सनेह रा वे

हरिदास निरंजनी

गुरु रूप तणौं दरबार

आत्माराम 'रामस्नेही संत'

राम रस मीठा रे अब

हरिदास निरंजनी

राम रस ऐसा रे

हरिदास निरंजनी

राम भजन हिरदै नहीं हेत

हरिदास निरंजनी

तब हम हरि गुण गावेंगे

हरिदास निरंजनी

तब हरि हम कूँ जांणैंगे

हरिदास निरंजनी

सखि हो..! गगन गरजि घन आये

हरिदास निरंजनी

दस अवतार दसूँ ए देसी

हरिदास निरंजनी

संतो..! राम रजा मैं रहिए

हरिदास निरंजनी