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भगती पर सबद
भगती विषयक काव्य-रूपों
रौ संकलन।
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सबद
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राम नाम का मिणका कीजै
फूलीबाई
लेखा देना रे धनी का
गरीबदास
रामजी सुन ज्यो म्हारी बात
फूलीबाई
बंदे देख ले निज मूल वे
गरीबदास
तहा मन भयो रे अडोल
बखना जी
मेरे लालन हो, दरस द्यो क्यूँ नांही
बखना जी
बँगला खूब बना है ज़ोर
गरीबदास
राम रस भीजगी मैं भूलगी संसार
फूलीबाई
भाइयां सिमरण करो सवाया
फूलीबाई
सजन सनेह रा वे
हरिदास निरंजनी
बीत गया सो ठीक है
फूलीबाई
गुरु रूप तणौं दरबार
आत्माराम 'रामस्नेही संत'
सब घट मांहि राम है
फूलीबाई
मन रे तूँ स्याणा नहीं अयाणा रे
हरिदास निरंजनी
गाइये रामइयो दातार
बखना जी
राम सांच जग झूठ है, बण-बण के मिट जाय
फूलीबाई
एक हरि एक हरि, एक हरि साचा
हरिदास निरंजनी
राम रस मीठा रे अब
हरिदास निरंजनी
जिवड़ा जाय कहा तूँ रहसी वे
हरिदास निरंजनी
राम रस ऐसा रे
हरिदास निरंजनी
घट ही में चंद चकोरा
गरीबदास
नाम निरंजन नीका साधो
गरीबदास
आज आतम राम पाया
फूलीबाई
गोविंद किसौ औगुण मांहि
हरिदास निरंजनी
सखी हो..! सांवण मास विराजै
हरिदास निरंजनी
श्री भवानी संकरजी रौ गुण सिव पुराण
आईदान गाडण
राम भजन हिरदै नहीं हेत
हरिदास निरंजनी
मैं तो अमर देस री वासी
फूलीबाई
सोई दिन आवेगा, अपणो राम संभालि वे
हरिदास निरंजनी
तब हम हरि गुण गावेंगे
हरिदास निरंजनी
तब हरि हम कूँ जांणैंगे
हरिदास निरंजनी
भजन कर राम दुहाई रे
गरीबदास
कबहुँ न होवै मैला नाम
गरीबदास
संतो..! कुवधि काल तैं डरिये
हरिदास निरंजनी
बंदे अधर बेड़ा चलत वे
गरीबदास
समझि देखि कुछ नांही रे..!
हरिदास निरंजनी
तोकूँ विड़द किसो दे गाऊँ
हरिदास निरंजनी
अब मोहि दरस दिखाइ माधवे
हरिदास निरंजनी
सखि हो..! गगन गरजि घन आये
हरिदास निरंजनी
दस अवतार दसूँ ए देसी
हरिदास निरंजनी
राम विसारि मांरे ‘प्रान'
हरिदास निरंजनी
रे चित चिंता जिनि करे
बखना जी
मन मगन भया जब क्या गावै
गरीबदास
संतो..! राम रजा मैं रहिए
हरिदास निरंजनी
जब मन होवे माया का
फूलीबाई
बाणी बरसै सबद सुहावे
बखना जी