जूनौ कोस
नूवौ कोस
लोक परंपरा
ई-पुस्तक
महोत्सव
Quick Links
जूनौ कोस
नूवौ कोस
लोक परंपरा
ई-पुस्तक
महोत्सव
साइट: परिचय
संस्थापक: परिचय
अंजस सोशल मीडिया
भगती पर त्रिभंगी छंद
भगती विषयक काव्य-रूपों
रौ संकलन।
दूहा
सबद
पद
छप्पय
त्रिभंगी छंद
संवैया छंद
सोरठा
काव्य खंड
कविता
कवित्त
लोकगीत
गीत
डिंगल गीत
भुजंगप्रयात छंद
कुण्डळियौ छंद
कथा गीत
छंद रोमकंद
कहाणी
चौपाई
साखी
छंद बेअक्खरी
सारसी छंद
ग़ज़ल
रास
त्रिभंगी छंद
28
तौ सूर संभालं गहि
रज्जब जी
तौ गुर सब्दं निरख्या नद्दं
रज्जब जी
ता समि नहिं कोई त्यागी
रज्जब जी
मुख ही परिगासै
रज्जब जी
तौ द्वै पख त्यागं पाया मागं
रज्जब जी
तौ उभै न रीतं पाई
रज्जब जी
अज्ञानी कसि देह न
रज्जब जी
अकलि सु आतम
रज्जब जी
मनिषा देह स्थान
रज्जब जी
यहि काया कल्यान
रज्जब जी
तौ बैरी बासं दूंदर दासं
रज्जब जी
तौ तजि सब ओटं काया
रज्जब जी
तौ ताते तावं घाले घावं
रज्जब जी
तौ बेद कुरानं उभै अयानं
रज्जब जी
अगणित कष्ट अनेक
रज्जब जी
जो मधि मारग रज्जब रखं
रज्जब जी
तौ खत्री चारं खेत बुहारं
रज्जब जी
तौ सुन्या सु कन्नं पखि
रज्जब जी
सिष्य न होये आप
रज्जब जी
सुखी सकल संसार
रज्जब जी
तौ सूर सुभट्टं करि खल
रज्जब जी
तौ भूपति भाजं कीये पाजं
रज्जब जी
नर नाराइन देह
रज्जब जी
सक्ती सुख ससि सीर
रज्जब जी
तौ खोये खल खाहं मही
रज्जब जी
बिरह बिथा तन पीर
रज्जब जी
तौ घर व्योम निरालं अद्भुत
रज्जब जी
हनुमान अष्टक
ऊमरदान लालस